देश में बढ़ा अश्रु गैस का उत्पादन

नई दिल्ली ,11 मार्च (आरएनएस)। सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक रजनी कांत मिश्र ने कहा कि दंगा-विरोधी अश्रु गैस म्युनिशनों का उत्पादन कर सभी पुलिस बलों को समय पर सुपुर्द कर सराहनीय कार्य कर रही है और आज अश्रु गैस इकाई के द्वारा स्वदेशी अघातक म्युनिशनों को उत्पादित कर देष को विदशी म्युनिशनों पर आश्रित होने से मुक्त कर दिया है।
सीमा सुरक्षा बल मुख्यालय, सीजीओ कांप्लेक्स नई दिल्ली सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक रजनीकांत मिश्र की अध्यक्षता में अश्रु गैस इकाई, सीमा सुरक्षा बल गृह मंत्रालय की सोमवार को हुई 40वीं गवर्निंग बॉडी मीटिंग में महानिदेशक मिश्र ने सीमा सुरक्षा बल ने अघातक हथियारों एवं म्युनिशन के क्षेत्र में उत्तम गुणवत्ता, समय पर उत्पादन, स्थानीय पुलिस बलों की आवश्यकता के अनुरूप कानून व्यवस्था प्रबंधन हेतु नये उत्पाद बनाने के लिये अश्रु गैस इकाई की सराहना की। उन्होंने बताया कि अश्रु गैस इकाई वर्ष 1976 में सी.सु.बल अकादमी टेकनुपर में स्थापित की गई थी एवं तभी से कानून व्यवस्था प्रबंधन के लिए दंगा-विरोधी अश्रु गैस म्युनिशनों का उत्पादन कर सभी पुलिस बलों को समय पर सुपुर्द कर सराहनीय कार्य कर रही है। अश्रु गैस इकाई के द्वारा स्वदेषी अघातक म्युनिषनों को उत्पादित कर देष को विदेषी म्युनिशनों पर आश्रित होने से मुक्त कर दिया है। मीटिंग में प्रबंधक मंडल के रूप में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस, राज्य पुलिस बलों, आयुद्व निर्माण बोर्ड एवं वित्तीय मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। श्री राजेष निर्वाण, भारतीय पुलिस सेवा, महानिरीक्षक (रसद) सीमा सुरक्षा बल ने उपस्थित प्रतिनिधियों का स्वागत किया और अश्रु गैस इकाई, सीमा सुरक्षा बल के महाप्रबंधक एडविन जॉन बैनट ने अश्रु गैस इकाई की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला एवं भविष्य के लिए नई योजनाओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। वर्तमान में अश्रु गैस इकाई लैक्रामैटरी अघातक म्युनिषन को तैयार करने के लिए चार अलग-अलग रसायनों के संलयन पर काम कर रहा है। जो कानून व्यवस्था प्रबंधन में सुरक्षा बलों के लिए और अधिक क्षमतावान सिद्व होंगे। अश्रु गैस इकाई के म्युनिशन का समय से और प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करके जान-माल एवं करोड़ों रुपये की सार्वजनिक सम्पत्ति को बचाया जा सकता है। प्रबंधक मंडल ने बल देते हुये कहा कि ऐसे और स्वदेषी बायो-सेफ, अघातक म्युनिशन, को विकसित करने की आवश्यकता है जो कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के हों और बदलते हुये सुरक्षा परिवेष के अनुरूप हों।
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