हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 88 दोषियों की सजा को रखा बरकरार
नई दिल्ली ,28 नवंबर (आरएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में 1984 में सिख विरोधी दंगे को लेकर ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई अपील पर बुधवार को अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की तरफ से दोषी करार दिए गए सभी 88 दोषियों की सजा के फैसले को बरकरार रखा है और सभी को सरेंडर करने को कहा है। कोर्ट ने 22 साल पुरानी अपील पर यह फैसला सुनाया।
ट्रायल कोर्ट ने दंगों, घरों को जलाने और कफ्र्यू का उल्लंघन करने के लिए साल 1996 में उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में 95 शव बरामद हुए थे लेकिन किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे। 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी पाए गए करीब 80 से ज्यादा लोगों की अपील पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। दो नवंबर 1984 को कफ्र्यू का उल्लंघन कर हिंसा करने का आरोप लगाया गया था। इस हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों की मौत हो गई थी और करीब सौ घरों को जला दिए गए थे। अभियुक्तों ने सेशन कोर्ट के 27 अगस्त 1996 के फैसले को चुनौती दी थी। कई दोषियों की अपील लंबित होने के दौरान ही मृत्यु हो गई। 88 में से अभी सिर्फ 47 ही जिंदा हैं।
क्या है सिख विरोधी दंगा
31 अक्टूबर 1984 चौरासी को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगा भड़क गए, इसमें सैकड़ों सिखों को देशभर में निशाना बनाया गया।देशभर में सिखों के घरों और उनकी दुकानों को लगातार हिंसा का निशाना बनाया गया। सबसे ज्यादा हिंसा दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भड़की थी।
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