पुष्टि के साथ भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक को बताया नॉन मिलिट्री एक्शन

नई दिल्ली,26 फरवरी (आरएनएस)। मंगलवार सुबह पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक पर 8 घंटे तक चले कयासबाजी के दौर के बाद भारत ने पुलवामा का हिसाब चुकता करने की पुष्टिï की। उड़ी हमले के बाद किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी देने का जिम्मा सेना को दिया गया था तो इस सर्जिकल स्ट्राइक की सूचना देने का जिम्मा विदेश सचिव विजय गोखले को दिया गया। विदेश सचिव ने भारत की पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई की पुष्टिï की और कहा कि इस आतंकी संगठन के प्रशिक्षण कैंपों पर की गई कार्रवाई में कई बड़े आतंकी, सीनियर कमांडर और जेहादी ढेर हुए हैं। साथ ही उन्होंने इसे किसी देश के खिलाफ युद्घ से साफ इंकार करते हुए इसे आतंकियों के खिलाफ नॉन मिलिट्री एक्शन बताया।
विदेश सचिव ने कहा कि भारत में आतंकी हमले की पुख्ता सूचना के बाद पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बालाकोट स्थित घने जंगलों में जैश के ठिकानों पर नॉन मिलिट्री एक्शन के तहत हमले किए गए। इसके तहत बालकोट में जैश के आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया। इसमें बड़ी संख्या में जैश के बड़े आतंकी, जिहादी और टॉप कमांडर ढेर हुए। विदेश सचिव के मुताबिक बालाकोट का प्रशिक्षण शिविर जैश सरगना मसूद अजहर का साला यूसुफ अजहर चलाता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के द्वारा अपनी धरती से आतंकियों को खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाने के बाद भारत को कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने पाकिस्तान पर 20 साल से इस संगठन केखिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।
गोखले ने कहा कि कहा कि भारत की यह कार्रवाई किसी देश के खिलाफ युद्घ नहीं है। आतंकी हमले की सूचना के बाद भारत ने आनन फानन इस कार्रवाई को अंजाम दिया। इस कार्रवाई के निशाने पर सिर्फआतंकी संगठन थे। इसमें किसी नागरिक को नुकसान न पहुंचे, इसका पूरा ध्यान रखा गया। विदेश सचिव ने कहा कि बीते 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में जैश का हाथ था। इसका सरगना मसूद अजहर अंतर्राष्टï्रीय आतंकवादी है। यह संगठन साल 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में भी शामिल रहा है। इन हमलोंं के संबंध में पाकिस्तान को कई जानकारी मुहैया कराए जाने के बावजूद उसने कोई कार्रवाई नहीं की।
वार रूम में ऑपरेशन केदौरान खुद पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और एनएसए डोभाल ने सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ ऑपरेशन का पूरा समय वार रूम में बिताया। दरअसल वायु सेना स्थित वार रूप में सैटेलाइट के माध्यम से हमले की पल पल की जानकारी आ रही थी। कार्रवाई में जुटे 12 लड़ाकू विमान केसफल ऑपरेशन के बाद सकुशल वापस लौटने के बाद ही पीएम ने वार रूम छोड़ा।
39 साल बाद वायु सेना को एलओसी के बाहर हमले का मिला मौका
भारतीय वायुसेना को एलओसी के उस पार हमले को अंजाम देने केलिए 39 साल इंतजार करना पड़ा। साल 1971 केयुद्घ में वायुसेना ने एलओसी और अंतर्राष्टï्रीय सीमा को पार किया था। इसके बाद वर्ष 1998 में हुए कारगिल युद्घ के दौरान चूंकि भारत को अपनी जमीन पर लडऩा पड़ा था। इसलिए तब भी वायुसेना ने एलओसी या अंतर्राष्टï्रीय सीमा के उस पार हमला नहीं किया था।
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