नोटबंदी देश का सबसे बड़ा महाघोटाला : रणदीप सिंह सुरजेवाला
रायपुर, 13 नवंबर (आरएनएस)। आजाद भारत में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला यदि कोई है तो वह है नोटबंदी का घोटाला। इसकी आड़ में भाजपा नेताओं ने करोड़ों रूपए को बैंकों में जमा कराकर अपनी काली कमाई को सफेद कर लिया। नोटबंदी के ठीक पहले भाजपा और आरएसएस ने ओडिशा और बिहार में धड़ाधड़ संपत्तियां खरीदी, आखिर इतना पैसा अचानक कहां से आया? यह बात न तो भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की जनता को बताते हैं?
उक्त आरोप प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने लगाई। श्री सुरजेवाला ने कहा कि नोटबंदी से ठीक पहले भाजपा व आरएसएस ने सैकड़ों करोड़ रूपए की संपत्ति पूरे देश में खरीदी। कांग्रेस पार्टी ने बिहार में कम कीमतों पर खरीदी 8 संपत्तियों की सूची व उड़ीसा में खरीदी 18 संपत्तियों की सूची तथा कागजात सार्वजनिक किए थे। क्या भाजपा व आरएसएस को नोटबंदी के निर्णय की जानकारी पहले से थी? क्या कारण है कि भाजपा व आरएसएस ने इतने सैकड़ों व हजारों करोड़ की संपत्ति खरीदी व इसे सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया? क्या इसकी जाँच नहीं होनी चाहिए?
भाजपा के लोगों को पहले से थी नोटबंदी की जानकारी :
श्री सुरजेवाला ने बताया कि नोटबंदी से ठीक पहले सितंबर, 2016 में बैंकों में यकायक 5,88,600 करोड़ रुपया अतिरिक्त जमा हुआ। इसमें से 3 लाख करोड़ फिक्स डिपॉजि़ट में मात्र 15 दिन में जमा हुआ (1 सितंबर से 15 सितंबर, 2016)। क्या इससे साबित नहीं होता कि नोटबंदी की एडवांस जानकारी दे दी गई थी? क्या कारण है कि 5,88,600 करोड़ रुपया जमा कराने वाले किसी व्यक्ति की जाँच नहीं हुई?
श्री सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के बड़े नेताओं को नोटबंदी के निर्णय की पूर्व जानकारी थी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद यानि,10 नवंबर, 2016 को इंदिरापुरम गाजिय़ाबाद, उत्तरप्रदेश में एक मारुति स्विफ्ट कार, रजिस्ट्रेशन नंबर, एचआर-26एआर-9662 से तीन करोड़ रुपया बोरियों में पकड़ा गया। कार में सिद्धार्थ शुक्ला व अनूप अग्रवाल थे, जिन्होंने बताया कि वो यह कैश पैसा भाजपा के लखनऊ कार्यालय में ले जा रहे थे। गाजिय़ाबाद भाजपा अध्यक्ष, अशोक मोंगा, पुलिस स्टेशन आए व लिखकर दिया कि यह पैसा भाजपा के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय से भाजपा के लखनऊ कार्यालय में जा रहा था। मोदी जी देश को कहते हैं कि चाय भी पेटीएम से पियो, तो फिर भाजपाई करोड़ों रुपया गाड़ी की डिक्की में भरकर क्यों ले जा रहे थे। इस राशि को सीधे भाजपा के लखनऊ कार्यालय के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर क्यों नहीं किया गया? मोदी जी व अमित शाह के चहेते, कर्नाटक के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता, जी. जनार्दन रेड्डी (बेल्लारी ब्रदर्स) के सहयोगी, रमेश गौड़ा ने नोटबंदी के बाद खुदकुशी कर ली तथा सुसाईड नोट में लिखा कि 100 करोड़ रु. का कालाधन भाजपा नेताओं द्वारा बदला जा रहा था, इस गंभीर विषय की जांच क्यों नहीं हुई?