रायपुर. 5 जुलाई (आरएनएस)।  शारीरिक तंदुरूस्ती के लिए तैराकी को सबसे अच्छे व्यायामों में से एक माना जाता रहा है। इससे एक ओर जहां शरीर में स्फूर्ति आती है, तो वहीं दूसरी ओर निरंतर अभ्यास से हड्डियां भी मजबूत बनती हैं। गांवों में बच्चे और बड़े पहले तालाबों, पोखरों, नदी-नहरों में तैराकी और जल-क्रीड़ा करते थे। लेकिन तालाबों की अनदेखी और उनके गंदगी से पटने के कारण बच्चों-बड़ों की ये गतिविधि सिमटते गई। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से रोजगार के साथ ही तालाबों के संरक्षण और पुनर्जीवन के काम भी हो रहे हैं। इसके माध्यम से नए तालाबों की खुदाई तथा पुराने तालाबों की साफ-सफाई, गहरीकरण और गाद निकासी के बाद वर्षा जल के भराव से ये जल-क्रीड़ा और तैराकी जैसी गतिविधियों की पाठशाला बन गए हैं। यहां अब बच्चे पहले की तरह बड़ों के मार्गदर्शन में तैराकी का हुनर सीख रहे हैं।जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बोकरामुड़ा गांव के तालाब को मनरेगा से नया जीवन मिला है। अब वापस तैराकी की पाठशाला बन चुका बलौदा विकासखंड के इस गांव का तालाब गंदगी और गाद से लगभग पट चुका था। इस साल की गर्मी में यह करीब-करीब सूख ही गया था। कभी गांव में निस्तारी, खेती-किसानी और बच्चों की जल-क्रीड़ा का केन्द्र रहे इस तालाब की हालत ने गांववालों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी थीं। सरपंच श्री जगजीवन ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इसका समाधान निकाला और ग्रामसभा में इसके गहरीकरण का प्रस्ताव स्वीकृत कराकर इस साल फरवरी में काम शुरू करवाया। मनरेगा श्रमिकों की तीन महीनों की मेहनत से अप्रैल-2021 में तालाब के गहरीकरण व पचरी निर्माण का काम पूरा होने के बाद अब यह अपने पुराने समृद्ध स्वरुप में नजर आने लगा है। लॉक-डाउन के बीच मार्च-अप्रैल में मनरेगा के अंतर्गत तालाब गहरीकरण का काम चला। इसमें गांव के 155 परिवारों को 4232 मानव दिवसों का सीधा रोजगार प्राप्त हुआ। इसके एवज में ग्रामीणों को सात लाख 52 हजार रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया।