मानसून सत्र के पहले दिन राज्य के तीन वरिष्ठ नेताओं को दी गई श्रद्धांजलि

रायपुर, 02 जुलाई (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ विधान सभा का मानसून सत्र आज शुरू हो गया। पहले दिन सदन में पूर्व मंत्री स्वर्गीय हेमचंद यादव, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व संासद स्वर्गीय केयूर भूषण और पूर्व मंत्री स्वर्गीय विक्रम भगत को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दिवंगतों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया। सदन की कार्रवाई प्रारंभ होने पर विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने निधन उल्लेख करते हुए तीनों दिवंगत नेताओं का परिचय दिया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वर्गीय हेमचंद यादव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यादव ने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ अजातशत्रु की तरह जिया। यादव सबसे समान व्यवहार करने वाले लोकप्रिय नेता थे। यादव की लोककला और लोक संगीत में भी गहरी रूचि थी। खेलों से भी उनका लगाव था। उन्होंने कम समय में ही सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक काम किए। स्वर्गीय यादव की स्मृतियों को चिरस्थाई बनाने के लिए दुर्ग विश्वविद्यालय का नामकरण स्वर्गीय हेमचंद यादव के नाम पर करने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, साहित्यकार और रायपुर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व संासद स्वर्गीय केयूर भूषण को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके निधन से एक युग का अंत हो गया। उन्होंने आजीवन पूरी सादगी के साथ जनता की सेवा की। डॉ. सिंह ने कहा कि मैंने गांधीजी को नहीं देखा, लेकिन स्वर्गीय केयूर भूषण जी को देखकर लगता था कि गांधीजी कैसे रहे होंगे। उन्होंने जीवन भर गांधीवादी सिद्धांतों का पालन किया और छत्तीसगढ़ की संस्कृति, खादी और आयुर्वेद के प्रसार में अपना जीवन लगा दिया। सत्रह वर्ष की आयु में उन्होंने गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल यात्रा भी की। स्वर्गीय केयूर भूषण जी 1980 से 1990 तक रायपुर क्षेत्र से लोकसभा में सांसद रहे। वे गांव, गरीब और किसानों की भलाई के लिए हमेशा सक्रिय रहे। छुआ-छूत की सामाजिक बुराई के खिलाफ जनजागरण में और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए चलाये गए सर्वदलीय अभियान में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। मुख्यमंत्री ने उनसे जुड़े संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि बीमार होने के बावजूद वे हर माह मुझसे मिलने आते थे और मुझे मार्गदर्शन देते थे। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत में एक संवेदनशील कवि, कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में भी उनकी अपनी पहंचान थी। स्वर्गीय केयूर भूषण जी ने आजीवन गांधीवादी और सर्वोदयी विचारधारा को अपनाया।

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