केंद्र सरकार का वन नेशन वन हेल्थ सिस्टम पर जोर

नई दिल्ली,29 सितंबर (आरएनएस)। केंद्र की मोदी सरकार वन नेशन वन हेल्थ कार्ड के बाद अब वन नेशन वन हेल्थ सिस्टम को लागू करने की योजना बना रही है। जिसके तहत मेडिकल प्रैक्टिस, शिक्षा और अनुसंधान में एलोपैथी, होम्योपैथी, सिद्ध, यूनानी, आयुर्वेद जैसी आधुनिक औऱ पारंपरिक पद्धतियों को एक साथ लाया जाएगा। सरकार ने इस योजना को अमली जामा पहनाने की जिम्मा नीति आयोग को सौंपा है।
सरकारी सूत्र से मिली जानकारी के मुताबकि, इस नीति के पीछे सरकार का उद्देश्य यह कि मरीजों को किसी भी चिकित्सा पद्धति के जरिए इलाज मिल सके। चिकित्सा पद्धति का चुनाव मरीजों की बीमारी और उनकी मौजूदा स्थिति पर निर्भर करेगा। वन नेशन वन हेल्थ सिस्टम के जरिए सरकार सभी चिकित्सा पद्धतियों को एक साथ एक छत के नीचे लाने का प्रयास कर रही है ताकि मरीजों की मौजूदा स्थितियों के आधार पर उसका इलाज किया जा सके और मरीजों का दर-दर भटकना भी बंद हो जाए। एक सरकारी अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, अगर किसी अस्पताल में कोई मरीज आता है और उसकी हालत गंभीर है तो उसे एलोपैथिक इलाज दिए जाने की संभावना है और फिर जैसे-जैसे उसकी स्थिति में सुधार होगा उसे होम्योपैथिक या फिर आयुर्वेदिक इलाज मुहैया कराया जा सकता है।
2030 तक नई नीति आने की उम्मीद
वन नेशन वन हेल्थ सिस्टम नीति 2030 तक आने की उम्मीद जताई जा रही है। इस नीति के जरिए सरकार देशी चिकित्सा पद्धतियों को बड़े पैमाने बढ़ावा देने पर विचार बना रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार इलाज के लिए एलोपैथी पर बढ़ती निर्भरता को भी कम करना चाहती है ताकि इसके साइड इफेक्ट्स से लोगों को बचाया जा सके। सरकार ने अपनी इस नई नीति को लाने का इरादा नई हेल्थ पॉलिसी के जरिए जाहिर कर दिया था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि वन नेशन वन हेल्थ सिस्टम 2030 तक अमल में आ सकता है। सरकार ने इस योजना को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी है। इसके लिए बकायदा नीति आयोग के सदस्य डॉ वी.के. पॉल की अगुवाई में एक टीम का गठन किया गया है। इतना ही नहीं इस नए सिस्टम को अमल में कैसे लाया जाए इसको लेकर डॉ वी.के. पॉल की अध्यक्षता में एक बैठक भी हो चुकी है। जल्द ही इससे जुड़ी हुई जानकारियां भी सामने आएंगी।
सूत्रों ने बताया कि इस योजना के साथ-साथ सरकार का इरादा भारतीय चिकित्सा पद्धति, आधुनिक विज्ञान समेत विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई को भी एकीकृत करने का है।
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