रविवार को लगेगा कंकण चूड़ामणि सूर्य ग्रहण:शास्त्री

नईदिल्ली, 17 जून (आरएनएस)। अखिल भारतीय ब्राह्मण संरक्षण संघ के प्रदेश अध्यक्ष गोल्ड मेडलिस्ट आचार्य डी.पी.शास्त्री ने 21 जून रविवार को लगने वाले ग्रहण के संबंध में बताया है कि इस दिन कंकण चूड़ामणि ग्रहण है। इस दक्षिण चूड़ामणि सूर्यग्रहण का प्रभाव समस्त भारत और पूर्वी यूरोप आस्टे्रलिया  के केवल उतरी क्षेत्रों प्रशान्त एवं हिन्द्र महासागर मध्य पूर्वी एशिया पाकिस्तान, चीन, बर्मा, फिलीपीन्स में दिखाई देगा जिसका सुतक 12 घण्टें पूर्व लग जाता है। ऐसे तो आकाशीय घटना ग्रह के अनुसार बराबर होता रहता है। लेकिन जिसका प्रभाव धरातल-मानव से जुड़ा हो उसकी  चर्चा है। हमारे ज्योतिष शास्त्र में ऋषि-मुनि द्वारा की गई है। यह ग्रहण आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या रविवार मृगशिरा आद्र्रा नक्षत्र में मिथुन राशि पर घटित हो रहा है। जो सुबह 09-15 से दोपहर 3-04 लगभग 5 घंटा 48 मिनट तक रहेगा जिसमें चार ग्रह का योग मिथुन राशि पर है। भारत की कुंडली में भी यह संयोग ठीक नहीं है। राजनीतिक में तनाव, व्यपार में नुकसान कोरोना महामारी से त्रस्त देश राज्य-सरकार की स्थिति भयावह  रहेगी। शनि-गुरु-वक्री होने से भी भूकंप की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। धर्म-क्षेत्र मिडिया, फिल्म-जगत् में भी तनाव का महौस रहेगा 29 सितम्बर 2020 के बाद शांति एवं वैश्विक महामारी से मुक्ति, मेडिसीन मिलने का योग बनेगा। विश्व में कही अनहोनी का भी योग वर्तमान में वन रहा है। मंगल के नक्षत्र में होने से जमीन-आग पंट्रोलियम खनिज पदार्थ में नुकसान रहेगा, लेकिन मेष-सिंह, मीन, राशि वालों के लिए लाभदायक रहेगा तथा शेष राशियों के लिए ठीक नहीं है। मिथुन, धनु राशि वाले तनाव एवं नुकसान में रहेंगे। इस ग्रहण के पूर्व ही संपूर्ण जगत त्रस्त है। यह योग अचानक सृष्टि क्रम के अनुसार फल देता है। सनातम परम्परा में धर्म ज्योतिष वेद का नेत्र है। जिससे देखकर हम गणना करते है। ग्रहण काल में सूर्य उपासना आदित्य हृदय स्त्रोत, इस्ट मंत्र जाप  शिव-दुर्गा-विष्णु स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। नग्न आँखों से ग्रहण को ना देखें। ग्रहण काल के समय पका हुअ अन्न अशुद्ध हो जाता है। अन्न पदार्थ में कुशा-तुलसी रखें। बच्चें, गर्भवती-स्त्री, बुजुर्ग को सुतक दोष नहीं लगता है। चए ग्रह एक साथ होने से राजनीतिक तथा प्राकृतिक प्रकोप से व्यापार तथा जन-धन हानि होने का योग है। ग्रहण समाप्ति काल के बाद गंगा स्नान, ध्यान तीर्थ स्नान अन्न-जल, दान छाया पात्र काला तील, तेल का दान करना श्रेष्ठ होता है। मिथुन राशि के प्रधान नेता पाकिस्तान मुस्लिम देशों के केन्द्रिय सत्ता में परिवर्तन, यमुना  निकट क्षेत्रों के लिए कढिन चुनौतिपूर्ण समय रहेगा। प्राकृतिक प्रकोप से जन-धन, की हानि है। ग्रहण के बाद भी कुछ समय तक दमिक्ष अकाल जन्म स्थिति रहेगी। जिसका प्रभावा मिथुन संक्रन्ति तक रहेगा। वैश्वक महामारी से धन क्षत्र होगा। इस समय महामाई दुर्गा का ध्यान पूजन करना श्रेष्ठ होगा। वर्ष के अंत तक सब कुछ सामान्य होने की सम्भावना है।नईदिल्ली, 17 जून (आरएनएस)। अखिल भारतीय ब्राह्मण संरक्षण संघ के प्रदेश अध्यक्ष गोल्ड मेडलिस्ट आचार्य डी.पी.शास्त्री ने 21 जून रविवार को लगने वाले ग्रहण के संबंध में बताया है कि इस दिन कंकण चूड़ामणि ग्रहण है। इस दक्षिण चूड़ामणि सूर्यग्रहण का प्रभाव समस्त भारत और पूर्वी यूरोप आस्टे्रलिया  के केवल उतरी क्षेत्रों प्रशान्त एवं हिन्द्र महासागर मध्य पूर्वी एशिया पाकिस्तान, चीन, बर्मा, फिलीपीन्स में दिखाई देगा जिसका सुतक 12 घण्टें पूर्व लग जाता है। ऐसे तो आकाशीय घटना ग्रह के अनुसार बराबर होता रहता है। लेकिन जिसका प्रभाव धरातल-मानव से जुड़ा हो उसकी  चर्चा है। हमारे ज्योतिष शास्त्र में ऋषि-मुनि द्वारा की गई है। यह ग्रहण आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या रविवार मृगशिरा आद्र्रा नक्षत्र में मिथुन राशि पर घटित हो रहा है। जो सुबह 09-15 से दोपहर 3-04 लगभग 5 घंटा 48 मिनट तक रहेगा जिसमें चार ग्रह का योग मिथुन राशि पर है। भारत की कुंडली में भी यह संयोग ठीक नहीं है। राजनीतिक में तनाव, व्यपार में नुकसान कोरोना महामारी से त्रस्त देश राज्य-सरकार की स्थिति भयावह  रहेगी। शनि-गुरु-वक्री होने से भी भूकंप की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। धर्म-क्षेत्र मिडिया, फिल्म-जगत् में भी तनाव का महौस रहेगा 29 सितम्बर 2020 के बाद शांति एवं वैश्विक महामारी से मुक्ति, मेडिसीन मिलने का योग बनेगा। विश्व में कही अनहोनी का भी योग वर्तमान में वन रहा है। मंगल के नक्षत्र में होने से जमीन-आग पंट्रोलियम खनिज पदार्थ में नुकसान रहेगा, लेकिन मेष-सिंह, मीन, राशि वालों के लिए लाभदायक रहेगा तथा शेष राशियों के लिए ठीक नहीं है। मिथुन, धनु राशि वाले तनाव एवं नुकसान में रहेंगे। इस ग्रहण के पूर्व ही संपूर्ण जगत त्रस्त है। यह योग अचानक सृष्टि क्रम के अनुसार फल देता है। सनातम परम्परा में धर्म ज्योतिष वेद का नेत्र है। जिससे देखकर हम गणना करते है। ग्रहण काल में सूर्य उपासना आदित्य हृदय स्त्रोत, इस्ट मंत्र जाप  शिव-दुर्गा-विष्णु स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। नग्न आँखों से ग्रहण को ना देखें। ग्रहण काल के समय पका हुअ अन्न अशुद्ध हो जाता है। अन्न पदार्थ में कुशा-तुलसी रखें। बच्चें, गर्भवती-स्त्री, बुजुर्ग को सुतक दोष नहीं लगता है। चए ग्रह एक साथ होने से राजनीतिक तथा प्राकृतिक प्रकोप से व्यापार तथा जन-धन हानि होने का योग है। ग्रहण समाप्ति काल के बाद गंगा स्नान, ध्यान तीर्थ स्नान अन्न-जल, दान छाया पात्र काला तील, तेल का दान करना श्रेष्ठ होता है। मिथुन राशि के प्रधान नेता पाकिस्तान मुस्लिम देशों के केन्द्रिय सत्ता में परिवर्तन, यमुना  निकट क्षेत्रों के लिए कढिन चुनौतिपूर्ण समय रहेगा। प्राकृतिक प्रकोप से जन-धन, की हानि है। ग्रहण के बाद भी कुछ समय तक दमिक्ष अकाल जन्म स्थिति रहेगी। जिसका प्रभावा मिथुन संक्रन्ति तक रहेगा। वैश्वक महामारी से धन क्षत्र होगा। इस समय महामाई दुर्गा का ध्यान पूजन करना श्रेष्ठ होगा। वर्ष के अंत तक सब कुछ सामान्य होने की सम्भावना है।००

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