सीतारमन ने विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व विचार-विमर्श किया

नईदिल्ली,19 दिसंबर (आरएनएस)। केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने आगामी आम बजट 2020-21 के सम्बन्ध में विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ आज नई दिल्ली में बजट पूर्व पांचवा विचार-विमर्श किया।
बैठक के दौरान ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने श्रम और रोजगार से जुड़े मुद्दों के सम्बन्ध में अपने विचार और सुझाव साझा किए। बैठक में वर्तमान श्रम बल के कौशल विकास, नया हुनर सिखाने और अतिरिक्त हुनर देने के बारे में भी चर्चा की गई। इसके अलावा नौकरियों के सृजन की गुणवत्ता और कामगारों की न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के बारे में भी बातचीत की गई।
केन्द्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक में केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर; वित्त सचिव राजीव कुमार; डीईए सचिव अतनु चक्रवर्ती; राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे; सीबीडीटी के अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी; प्रमुख आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. सुब्रह्मण्यम; श्रम और रोजगार मंत्रालय सचिव हीरालाल सामरिया; वी.वी. गिरि नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट के महानिदेशक एच.श्रीनिवास और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक के दौरान ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने नौकरियां सृजित करने, श्रम से जुड़ी चिंताओं और रोजगार की गुणवत्ता से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। इस बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों ने कौशल विकास, नया हुनर सिखाने और अतिरिक्त हुनर देने के अलावा सामाजिक सुरक्षा के प्रावधानों के बारे में अपनी चिंताएं बताई। उन्होंने विभिन्न योजनाओं के बेहतर परिणामों की आवश्यकता के अलावा नौकरियां सृजित करने की गुणवत्ता और कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने पर जोर दिया। विभिन्न ट्रेड यूनियन और श्रम संगठनों के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने श्रम से जुड़े क्षेत्रों में कौशल विकास, कलस्टर के विकास के साथ कौशल विकास पहल को जोडऩे, कौशल बढ़ाने के लिए समर्पित कोष का गठन, मनरेगा योजना के लिए अधिक धनराशि का आबंटन, मनरेगा के अंतर्गत काम करने के दिवसों की संख्या बढ़ाने, स्थायी लाभ के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजना के लिए कानून, कौशल विकास के अनुसार नौकरियां निर्धारित करने, एमएसएमई के जरिये फिर से नौकरयां सृजित करने के लिए अलग कोष, सामाजिक क्षेत्र के लिए खर्च में वृद्धि, भूमिहीन कृषि कामगारों सहित असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए लाभ, त्रिपक्षीय और द्विपक्षीय तंत्र को मजबूत बनाना, सुरक्षा, औद्योगिक संबंधों और सामाजिक सुरक्षा के बारे में कोड को अंतिम रूप देने के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ सलाह-मशविरा किया गया।
विभिन्न श्रम संगठनों की ओर से भाग लेने वाले प्रतिनिधियों में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के अखिल भारतीय आयोजन सचिव बी.सुरेन्द्रन; ट्रेन यूनियनों की अखिल भारतीय केन्द्रीय परिषद (एआईसीसीटीयू) के राष्ट्रीय सचिव संतोष रॉय; भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम फेडरेशन (एफआईएसएमई) के अध्यक्ष अनिल भारद्वाज; भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के उपाध्यक्ष अशोक सिंह; ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) के अखिल भारतीय सचिवालय के सदस्य सत्यवान; श्रम प्रगतिशील फेडरेशन (एलपीएफ) के एम.पी. महासचिव एम.षणमुगम; अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव सुअमरजीत कौर; सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के राष्ट्रीय सचिव स्वदेश देव रॉय, हिन्द मजदूर सभा के सचिव मुकेश गालव; स्व-रोजगार महिला एसोसिएशन (सेवा) की राष्ट्रीय सचिव सुमालिनी शाह; दक्षिण एशिया और भारत के कंट्री ऑफिस के आईएलओडीडब्ल्यूटी के उप निदेशक सातोषी सासाकी; भारत के लघु उद्योगों की एसोसिएशन की फेडरेशन (एफएएसआईआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.वी. शेखर राजू; ट्रेड यूनियन कॉर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) के महासचिव संजय कटकामर; वर्धमान यार्न्स एंड थ्रेड्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डी.एल.शर्मा; फिक्की के सहायक महा सचिव अरविन्द फ्रांसिस, भारतीय मजदूर संघ के पवन कुमार शामिल थे।
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