आयुध कारखानों ने मनाया 219वां स्थापना दिवस

नईदिल्ली,18 मार्च (आरएनएस)। आयुध कारखाने बुधवार को अपना 219वां स्थापना दिवस मना रहे हैं। पहला आयुध कारखाना वर्ष 1801 में इसी दिन कोलकाता के कोसीपोर में स्थापित किया गया था, जिसे अब ‘गन एंड शेल फैक्टरीÓ के रूप में जाना जाता है। आयुध कारखाने दरअसल 41 आयुध कारखानों का एक समूह है, जिनका कॉरपोरेट मुख्यालय कोलकाता स्थित आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) है। ओएफबी नए अवतार में 02 अप्रैल,1979 को अस्तित्व में आया था।
अपनी शुरुआत से ही आयुध कारखानों ने स्वयं को दुनिया के एक सबसे बड़े रक्षा विनिर्माण समूह के रूप में विकसित कर लिया है जिनमें 90 प्रतिशत से भी अधिक स्वदेशी कलपुर्जे हैं और इसके साथ ही वहां अत्यंत मजबूत तकनीकी तथा अनुसंधान एवं विकास संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाएं भी हैं, जो वर्तमान में कुल राजस्व में 25 प्रतिशत का योगदान करती हैं।
फरवरी में लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो 2020 में ओएफबी ने पचास के दशक के विंटेज रूसी 130 मिमी एवं 150 &45 कैलिबर का उन्नत बंदूक (गन) वर्जन प्रस्तुत किया था जो ‘शारंगÓ के नाम से जाना जाता है। पिछले वर्ष की मुख्य उपलब्धि यह थी कि भारतीय सेना को ‘धनुषÓ नामक 155 &42 तोपखाना बंदूक प्रणाली सौंपी गई थी। इसके अलावा अनेक उत्पादों जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज; बैरल ग्रेनेड लॉन्चर गोला बारूद के तहत 40 मिमी; 5.56 & 30 मिमी संयुक्त उद्यम संरक्षण कार्बाइन (जेवीपीसी) के अल्फा वर्जन; 7.62 & 51 मिमी बेल्ट फेड लाइट मशीन गन (एलएमजी) को भी इस वर्ष प्रस्तुत किया गया।
ओएफबी वर्तमान में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों वाली अनेक महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियां विकसित कर रहा है। इनमें ‘उन्नत बीएमपी 2Ó सबसे प्रमुख है जो पैदल सेना लड़ाकू वाहन (आईसीवी) है। आईसीवी में लक्ष्य पर पैनी नजर रखने वाली उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी तरह आईसीवी को एक नई अग्नि नियंत्रण प्रणाली से भी लैस किया जा रहा है जिसकी बदौलत आईसीवी में मिसाइल दागने की विशिष्ट क्षमता होगी। इससे मौजूदा ‘बीएमपी 2Ó की परिचालन अवधि काफी बढ़ जाएगी। आयुध कारखाने अत्याधुनिक पैदल सेना लड़ाकू वाहन (एफआईसीवी) भी विकसित कर रहे हैं जिसे ‘उन्नत बीएमपी 2Ó के बाद पेश किया जाएगा। ओएफबी ने वर्ष 2021 के मध्य तक इसका प्रारूप (प्रोटोटाइप) तैयार करने की योजना बनाई है।
तोपखाने के क्षेत्र में 155 & 52 माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस) को विकसित किया गया है और इसका आंतरिक प्रमाणीकरण परीक्षण अभी जारी हैं। एक अन्य उपलब्धि यह है कि एक दिग्गज अंतर्राष्ट्रीय कंपनी या निकाय द्वारा 155 & 52 बैरल एवं इससे जुड़ी उत्कृष्ट व्यवस्था का सफल परीक्षण किया गया है। ये बैरल यूरोप में निर्मित बैरल के समान ही उत्कृष्ट हैं। ओएफबी ने कमांडर थर्मल इमेजिंग (टीआई) साइट्स भी विकसित की हैं जिनसे रात के समय टी-72 और टी-90 टैंकों की लक्ष्य भेदक क्षमता काफी बढ़ जाएगी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों के सहयोग से आयुध कारखानों द्वारा बड़े पैमाने पर अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) कार्य किए जा रहे हैं। ओएफबी ने संस्थान में गोला-बारूद के लिए उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है जिससे अत्याधुनिक युद्ध-सामग्री जैसे कि सटीक मार्ग-निर्देशित गोला-बारूद को विकसित करने की क्षमता हासिल होगी। ओएफबी ने उन्नत शोध के लिए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ भी एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
आयुध कारखाने दो शताब्दियों से भी अधिक समय से हथियारों, गोला-बारूद एवं उपकरणों की आपूर्ति कर सशस्त्र बलों की जरूरतों की पूर्ति कर रहे हैं और वे भविष्य में भी इन जरूरतों को पूरा करते रहेंगे।
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