संसद ने दी सुषमा व जेटली समेत दिवंगतों को श्रद्धांजलि
नई दिल्ली,18 नवंबर (आरएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा राम जेठमलानी समेत कई दिवंगत सांसदों को श्रद्धांजलि दी गई।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू के संबोधन के साथ संसद के शीतकालीन सत्र की बैठक सोमवार सुबह शुरू हो गई। शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने सदन की कार्यवाही से पहले अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और राम जेठमलानी को श्रद्धांजलि दी। राज्यसभा में कार्यवाही से पहले स्पीकर वैंकेया नायडू ने जगन्नाथ मिश्रा, अरुण जेटली, सुखदेव सिंह लिब्रा, राम जेठमलानी, गुरुदास गुप्ता को श्रद्धांजलि दी। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह अरुण जेटली को निजी तौर पर जानता था। हमारे बीच की राजनीतिक खटास हमारे निजी संबंधों के कारण मिठास में बदल जाती थी। छात्र जीवन से लेकर मृत्यु तक, उनका जीवन बहुत सक्रिय रहा। वह एक अच्छे छात्र, वक्ता और नेता थे। जेटली जी जैसे लोगों के जाने से अकेले किसी पार्टी को नहीं बल्कि पूरे देश को नुकसान हुआ है।
लोकसभा के चार नए सदस्यों ने ली शपथ
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा में चार नए सदस्यों को शपथ दिलाई गई। लोजपा के प्रिंस राज, भाजपा की हिमाद्री सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के श्रीनिवास दादा पाटिल और द्रमुक के डी एम कथिर आनंद ने शपथ ली। प्रिंस राज बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट से चुनकर आए हैं। उनके पिता रामचंद्र पासवान के निधन के बाद इस सीट के लिए उपचुनाव हुआ था। मध्य प्रदेश के शहडोल संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा की हिमाद्री सिंह 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में निजी कारणों से शपथ नहीं ले पाई थीं।
इलेक्ट्रिक कार से संसद पहुंचे जावड़ेकर
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर संसद के सत्र में हिस्सा लेने के लिए इलेक्ट्रिक कार से पहुंचे। उन्होंने कहा, श्सरकार धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक कारों की ओर जा रही है क्योंकि वे प्रदूषण मुक्त हैं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वह प्रदूषण से लड़ाई में योगदान दें। वह सार्वजनिक परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहनों आदि का इस्तेमाल करें।
बहस, चर्चा और वार्ता के लिए होती है संसद
लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी से उम्मीद करते हैं कि आम जनता के हित से जुड़े सभी मुद्दों पर संसद के अंदर चर्चा की अनुमति दी जानी चाहिए। संसद बहस, चर्चा और वार्ता के लिए होती है। सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह विपक्षी दलों को अपने विचार व्यक्त करने, अपनी राय को उचित तरीके से रखने दे। यह संसदीय लोकतंत्र का सार है।
संवाद और चर्चा होने चाहिए:मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद का सत्र शुरू होने से पहले कहा कि यह 2019 का अंतिम सत्र है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्यसभा का 250वां सत्र है। इस सत्र के दरमियान 26 नवंबर को हमारा संविधान दिवस पड़ेगा। इस दिन हमारे संविधान को 70 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पिछले कुछ दिनों में मुझे लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलने का अवसर मिला। पिछला सत्र सभी सांसदों के समर्थन और सक्रिय भागीदारी के कारण अभूतपूर्व था, जो न केवल सरकार या कोष पीठ (ट्रेजरी बेंच) की ही नहीं बल्कि संपूर्ण संसद की उपलब्धि है। हम सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा चाहते हैं। यह जरूरी है कि गुणवत्ता वाली बहस हो, संवाद और चर्चा होनी चाहिए, सभी को संसद में चर्चा को समृद्ध बनाने में योगदान देना चाहिए।
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