आरटीआई एक्ट में बदलाव हेतु सरकार की थी अध्यादेश लाने की तैयारी
नई दिल्ली ,21 जनवरी (आरएनएस)। केंद्र सरकार पिछले वर्ष आरटीआई एक्ट में संसद के जरिए संशोधन करा पाने में असफल रही थी, जिसके बाद उसने इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी कर ली थी। सरकार ने इसकी स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को फाइल भी सौंपी थी, हालांकि पीएमओ ने उसे लौटा दिया। इसका खुलासा सरकार की ओर से सार्वजनिक की गई आरटीआई नोटिंग्स में हुआ है और यह उस प्रक्रिया के बारे में है, जिसके तहत सरकार ने हाल में सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमीशन में एक चीफ इंफॉर्मेशन कमिश्नर (सीआईसी) और चार इंफॉर्मेशन कमिश्नरों (आईसी) की नियुक्ति की है। इस प्रस्तावित कानून को आरटीआई एक्ट को भोथरा करने की कोशिश करार देते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष ने आलोचना की थी।
फाइल नोटिंग्स में हुआ था खुलासा
इन फाइल नोटिंग्स में यह भी खुलासा हुआ है कि आरटीआई कार्यकर्ताओं के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद सरकार ने पीएमओ से इन नियुक्तियों की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा था। आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सरकार इंफॉर्मेशन कमिश्नर की नियुक्ति नहीं करके आरटीआई ऐक्ट 2005 को निष्क्रिय बना रही हैं। नोटिंग्स में बताया कि सीआईसी पद के लिए सर्च कमेटी की पसंद सुधीर भार्गव थे। इसके अलावा कमेटी ने पूर्व सेक्रेटरी (एक्सपेंडिचर) आर पी वटल, गुजरात के पूर्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एक के नंदा और पूर्व यूनियन सेक्रेटरी आलोक रावत और माधव लाल को भी इस पद के लिए शॉर्टलिस्ट किया था। सरकार को इंफॉर्मेशन कमिश्नर पद के लिए 280 आवेदन और सीआईसी पोस्ट के लिए 64 आवेदन मिले थे।