अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने समग्र ऋण वृद्धि पर हुई चर्चा

नईदिल्ली ,05 अगस्त (आरएनएस)। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को नई दिल्ली में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक महिन्द्रा बैंक और सिटी बैंक के शीर्ष प्रबंधन के साथ बैठक की। इस दौरान बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा की गई। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एन.एस. विश्वनाथन ने भी समीक्षा बैठक में भाग लिया।
वित्त मंत्रालय मौजूदा आर्थिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित करने जा रहा है, जिसमें यह पहली बैठक है। इन हितधारकों में ऐसे कुछ औद्योगिक सेक्टर भी शामिल हैं, जिनके विकास की गति हाल के महीनों में प्रभावित हुई है। आज की बैठक बैंकिंग सेक्टर के साथ आयोजित की गई। इसके बाद आने वाले दिनों में एमएसएमई सेक्टर, ऑटोमोबाइल सेक्टर, उद्योग संगठनों, वित्तीय बाजार के हितधारकों और अचल संपत्ति तथा मकान खरीदारों के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी। सरकार विकास की तेज गति बनाए रखने तथा सेक्टर विशेष से जुड़े मुद्दों को निपटाने के लिए उपयुक्त नीतिगत उपाय करते वक्त इन बैठकों के दौरान प्राप्त होने वाले सुझावों को भी ध्यान में रखेगी।
आज बैंकिंग सेक्टर के साथ आयोजित बैठक में अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक समग्र ऋण वृद्धि पर फोकस किया गया। इसके अलावा बैंकों द्वारा उन सेक्टरों की मदद करने के तरीकों पर भी चर्चा की गई, जो आर्थिक विकास की गति तेज करने में सहायक रहे हैं। विशेषकर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), ऑटोमोबाइल और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्रों की ऋण संबंधी जरूरतों पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही आरबीआई द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती का लाभ ऋण लेने वालों तथा उद्योग जगत को देने पर भी विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा डिजिटलीकरण से जुड़े प्रयासों की समीक्षा की गई, ताकि इस दिशा में की जा रही कोशिशों में और तेजी लाई जा सके। इस अवसर पर बैंकों ने सर्विस टैक्स से जुड़े कुछ ऐसे मुद्दे उठाए, जिनका सामना उन्हें करना पड़ रहा है। राजस्व सचिव और केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष ने इन मुद्दों को नोट किया।
समग्र ऋण वृद्धि
बैंकिंग प्रणाली से जुड़ी समग्र ऋण वृद्धि अब भी 12 प्रतिशत के स्तर पर टिकी हुई है, जो मार्च के आखिर में दर्ज की गई 13.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से थोड़ी कम है। इसके साथ ही एनपीए (फंसे कर्ज) से जुड़े चक्र में बेहतरी, 75 प्रतिशत से भी अधिक के उच्च प्रावधान कवर और वसूली में नया रिकॉर्ड बनने की बदौलत बैंकों की बैलेंस शीट पहले के मुकाबले बेहतर हो गई हैं।
संपर्क रहित डिजिटल ऋण देना
इस पृष्ठभूमि में बैंकों ने समीक्षा के दौरान किफायती और परेशानी मुक्त ऋणों में तेजी लाने की प्रतिबद्धता जताई। बैंकों ने विशेषकर एमएसएमई और उपभोक्ता वित्त से जुड़े सेक्टरों पर फोकस करने की बात कही। इसके तहत बैंकों ने पीएसबी59मिनिट्स पोर्टल पर एमएसएमई के लिए संपर्क रहित डिजिटल ऋणों की सैद्धांतिक मंजूरी सीमा को बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये करने का निर्णय लिया है। इस दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए बैंक इस पोर्टल के जरिए संपर्क रहित डिजिटल ऋण सुविधा का विस्तार कर पर्सनल लोन से जुड़े रिटेल ऋण उत्पादों, वाहन ऋणों और होम लोन को भी इसके दायरे में लाएंगे।
ऋणों की सह-उत्पत्ति
समीक्षा के दौरान बैंकों ने आरबीआई की सह-उत्पत्ति नीति के तहत बैंकों और एनबीएफसी की ओर से संयुक्त तौर पर ऋणों की सह-उत्पत्ति से लाभ उठाने के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता जताई। इसके तहत घर के दरवाजे तक एनबीएफसी सेक्टर की पहुंच के साथ कर्ज की कम लागत और बैंकों की व्यापक वित्त पोषण क्षमता के फायदों का संयोजन किया जाएगा, जिससे दोनों ही लाभान्वित होंगे। घर के दरवाजे तक ऋण एवं पुनर्भुगतान सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित होने से उपभोक्ताओं को भी सहूलियत होगी।
एनबीएफसी और एचएफसी सेक्टर
समीक्षा के दौरान यह बात नोट की गई कि सितंबर, 2018 से लेकर अब तक एनबीएफसी और एचएफसी (आवास वित्त कंपनियां) सेक्टर को बैंकों से प्राप्त ऋणों में लगभग 90,000 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे इस क्षेत्र की तरलता (लिक्विडिटी) संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली है। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा 40,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि को खरीद लेने से एनबीएफसी और एचएफसी सेक्टर को अपने परिसंपत्ति-देनदारी असंतुलन को कम करने में मदद मिली है। समीक्षा के दौरान बैंकों ने इस सेक्टर को अपनी ओर से सहयोग जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई, जिसके तहत बैंक एनबीएफसी और एचएफसी की एक लाख करोड़ रुपये तक की संयोजित (पूल्ड) परिसंपत्तियों को खरीदने के लिए सरकार से प्राप्त आंशिक ऋण गारंटी का विवेकपूर्ण उपयोग करेंगे।
राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) ने भी एक नई योजना पेश की है, ताकि एचएफसी अपने मौजूदा डेवलपर लोन के साथ-साथ व्यक्तिगत हाउसिंग लोन के लिए एनएचबी से पुनर्वित्त प्राप्त कर सकें। इसके बाद एचएफसी इस तरह से प्राप्त तरलता का उपयोग विशेषकर किफायती आवास के लिए व्यक्तिगत ऋणों के लिए कर सकती हैं।
ऑटोमोबाइल सेक्टर
ऑटोमोबाइल सेक्टर की बिक्री में गिरावट का रुख देखा जा रहा है। इस सेक्टर में बिक्री वाहन ऋणों के जरिए बढ़ती है, जिनमें एनबीएफसी की प्रमुख हिस्सेदारी है। वाहन वित्त के लिए एनबीएफसी से मिलने वाले ऋणों में कमी को ध्यान में रखते हुए बैंकों ने वाहन खरीद के लिए ऋण संबंधी सहायता बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है।
एमएसएमई सेक्टर
बैंक एमएसएमई को सस्ता, परेशानी मुक्त और नकद प्रवाह आधारित ऋण मुहैया कराने के लिए अपने प्रयासों में तेजी लाएंगे, जिसके लिए जीएसटी, डिजिटल भुगतान और वैकल्पिक डेटा का उपयोग किया जाएगा। बैंक इसके साथ ही मार्च 2020 तक उपलब्ध विशेष एमएसएमई पुनर्गठन व्यवस्था के तहत भारी दबाव से जूझ रहीं लाभप्रद एमएसएमई यूनिटों के पुनर्गठन में तेजी लाएंगे।
नीतिगत ब्याज दर में कमी का लाभ पहुंचाना
दिसंबर, 2018 से लेकर अब तक मौद्रिक नीति को काफी उदार बना दिया गया है, जिसके तहत नीतिगत ब्याज दरों (पॉलिसी रेट) में 0.75 प्रतिशत की कमी की गई और इसके साथ ही नीतिगत आउटलुक को परिवर्तित कर अब सकारात्मक या उदार बना दिया गया है। बैंकों को अपनी ऋण दरों में इसके अनुपात में कमी कर उपभोक्ताओं को इसका लाभ देने की जरूरत है। बैठक के दौरान बैंकों ने अपनी ऋण दरों की समीक्षा के लिए आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही ठोस कदम उठाने पर सहमति जताई।
डिजिटलीकरण
सरकार द्वारा डिजिटलीकरण पर विशेष जोर देने के परिणामस्वरूप डिजिटल लेन-देन मार्च 2019 तक बढ़कर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 769 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 726 प्रतिशत था। हाल के संशोधनों के तहत 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए डिजिटल भुगतान को स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही एनईएफटी और आरटीजीएस पर लगने वाले प्रभार (चार्ज) को समाप्त कर दिया गया है, जिससे डिजिटलीकरण को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा।
बैंकिंग से जुड़े सर्विस टैक्स के मुद्दे
बैंकों ने इस अवसर पर सर्विस टैक्स से जुड़े कुछ ऐसे मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया, जिनका सामना उन्हें करना पड़ रहा है। राजस्व सचिव और केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष ने इन मुद्दों को नोट किया। सरकार उपयुक्त समय पर इन मुद्दों पर गौर करेगी।
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