शिक्षा देश की युवा आबादी को राष्ट्रीय संपदा में परिवर्तित करने का महत्वपूर्ण माध्यम:नायडू

हैदराबाद ,29 जून (आरएनएस)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारतीय समुदाय एक ऐसी सभ्यता की नींव पर बना है जो मूल रूप से सहिष्णु रही है और जिसमें सबकी धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखते हुए विविधतापूर्ण संस्कृति का आनंद लिया जाता है।
हैदराबाद में आज मुफ्फखम जाह कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत समावेशिता में विश्वास करता है, जिसमें प्रत्येक नागरिक को चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो समान अधिकार प्राप्त हैं।
बिना किसी धार्मिक भेदभाव के संविधान के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए समानता का अधिकार सुनिश्चित किए जाने का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि सबका साथ सबका विकास के आदर्श वाक्य का आधार भारतीय सम्यता का मूल दर्शन है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अल्पसंख्यकों को वोट बैंक के रूप में देखे जाने जैसी भूलों के संभवत कुछ अवांछित सामाजिक और आर्थिक परिणाम दिखे हैं लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं और एक नया और युवा भारत तेजी से उभर रहा है।
नायडू ने कहा कि भारत में जीवन के हर क्षेत्र में धार्मिक समानता को जगह दी गयी है और यही वजह है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कई नेताओं को देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अटॉर्नी जनरल के पद पर आसीन होने का अवसर मिला है। इसके साथ ही संगीत, कला, संस्कृति, खेल और फिल्मों में भी उन्हें अपने हुनर दिखाने का मौका मिला है।
भारत को दुनिया के चार प्रमुख धर्मों-हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म की जन्मस्थली बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसके साथ ही देश में बड़ी संख्या में इस्लाम, ईसाई और अन्य कई धर्मों के अनुयायी भी रहते हैं। देश में दुनिया के सात बड़े धर्मों के अनुयायियों का रहना इस बात का प्रमाण है कि भाईचारा, समानता, आत्मसात करने और मिलकर रहने की भावना भारत की सोच और जीने का तरीका है।.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सदियों से भारतीय दार्शनिकों, शासकों तथा आधुनिक युग के राजनीतिक नेतृत्व ने समानता और सहिष्णुता के मूल सिद्धान्तों को अक्षुण्ण रखा है। उन्होंने कहा कि दुनिया इस बारे में आश्वस्त रह सकती है कि भारत की धार्मिक विविधता देश में धार्मिक स्वतंत्रता को हमेशा बनाये रखेगी। बहुरंगी संस्कृति और धार्मिक विविधता को संरक्षित रखने के मामले में दुनिया का कोई भी देश भारत की बराबरी नहीं कर सकता।
उपराष्ट्रपति ने आम आदमी की समस्याओं के समाधान के लिए छात्रों से लीक से हटकर नये उपाय तलाशने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हासिल की जाने वाली प्रत्येक उपलब्धि का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, तेजी से बढ़ता औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, जल संकट और कृषि संकट की चुनौतियों से निपटने के प्रभावी उपाय खोजना होना चाहिए। उन्होंने कृषि को टिकाऊ और मुनाफा कमाने का साधन बनाने पर भी जोर दिया।
भविष्य के पथ प्रदर्शक तैयार करने में उच्च शिक्षा की अहम भूमिका का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को चाहिए कि वे छात्रों में देश प्रेम, ईमानदारी, सामाजिक दायित्व, अनुशासन, संवेदना और सभी धर्मों तथा महिलाओं के प्रति आदर भाव रखने जैसे मूल्यों का समावेश करे।
उन्होंने कहा कि छात्रों को पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित रखने तथा सामाजिक रूप से संवेदनशील और सहिष्णु बनने की जरूरत के बारे में छात्रों को जागरूक किया जाना चाहिए। उनमें नकारात्मक सोच को छोड़कर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की भावना विकसित की जानी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने उच्च् शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों को सुझाव दिया कि वे अपने यहां होने वाले अनुसंधानों और गुणवत्ता वाली अध्ययन रिपोर्टों को अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं और जर्नलों में प्रकाशित करने पर जोर दें, ताकि हर किसी को पेटेंट का आवेदन करने तथा बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्व के बारे में पता चल सके।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने की दहलीज पर खड़ा है, ऐसे में देश की मानव संसाधन क्षमता को आर्थिक लाभों में परिवर्तित करना उच्च शिक्षा का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा “हमारी युवा आबादी को राष्ट्रीय संपदा में परिवर्तित करने का शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है।
नायडू ने छात्रों से कहा कि वे नई क्षेत्रों में निडरता से कदम रखें और टीम वर्क को अपनी सफलता का मंत्र बनाएं। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि छात्र बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम करें।
तेलंगाना के गृह मंत्री, मोहम्मद महमूद अली, उस्मानिया विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर एस रामचंद्रम, सुल्तान-उल-उलूम एजुकेशन सोसायटी के सचिव जफ़ऱ जावेद तथा अध्यक्ष खान लतीफ़ मोहम्मद खान और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
००

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »