केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र समग्र प्रदर्शन की दृष्टि से अव्वल
नईदिल्ली ,25 जून (आरएनएस)। नीति आयोग ने आज ‘स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारतÓ रिपोर्ट का दूसरा संस्करण जारी किया। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य संबंधी परिणामों या पैमानों के साथ-साथ समग्र प्रदर्शन में हुए वार्षिक वृद्धिशील बदलाव के आधार पर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग अभिनव ढंग से की जाती है। इस रिपोर्ट के दूसरे संस्करण में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में दो वर्षों की अवधि (2016-17 और 2017-18) के दौरान हुए वृद्धिशील सुधार एवं समग्र प्रदर्शन को मापने और उन पर प्रकाश डालने पर फोकस किया गया है।
यह रिपोर्ट नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव प्रीति सूदन द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई। यह रिपोर्ट नीति आयोग द्वारा विश्व बैंक की तकनीकी सहायता और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श से विकसित की गई है।
यह रिपोर्ट राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन को मापने का एक वार्षिक सुव्यवस्थित प्रदर्शन साधन है। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य संबंधी परिणामों या पैमानों के साथ-साथ समग्र प्रदर्शन में हुए वार्षिक वृद्धिशील बदलाव के आधार पर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग एक दूसरे की तुलना में की जाती है। रैंकिंग को बड़े राज्यों, छोटे राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, ताकि एक जैसे निकायों के बीच तुलना सुनिश्चित की जा सके। स्वास्थ्य सूचकांक (हेल्थ इंडेक्स) एक भारित समग्र सूचकांक है। यह ऐसे 23 संकेतकों पर आधारित है जिन्हें स्वास्थ्य परिणामों, गवर्नेंस एवं सूचना और महत्वपूर्ण जानकारियों/ प्रक्रियाओं के क्षेत्रों (डोमेन) में बांटा गया है। प्रत्येक क्षेत्र को विशेष भारांक (वेटेज) दिया गया है जो उसकी अहमियत पर आधारित है और जिसे विभिन्न संकेतकों के बीच समान रूप से बांटा गया है।
बड़े राज्यों में केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र को समग्र प्रदर्शन की दृष्टि से शीर्ष रैंकिंग दी गई है, जबकि हरियाणा, राजस्थान और झारखंड वार्षिक वृद्धिशील प्रदर्शन की दृष्टि से शीर्ष तीन राज्य हैं। हरियाणा, राजस्थान और झारखंड ने विभिन्न संकेतकों के मामले में आधार से संदर्भ वर्ष तक स्वास्थ्य परिणामों में अधिकतम बेहतरी दर्शाई है। नवजात मृत्यु दर (एनएमआर), पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर), नवजात शिशुओं में जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं का अनुपात, कार्यरत कार्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) वाले जिलों का अनुपात, प्रथम तिमाही के भीतर पंजीकृत एएनसी का अनुपात, गुणवत्ता प्रत्यायन प्रमाण पत्र वाले सीएचसी/पीएचसी का अनुपात, पूर्ण टीकाकरण कवरेज, संस्थागत प्रसव, जिला अस्पतालों में खाली पड़े विशेषज्ञ पदों का अनुपात और आईटी आधारित मानव संसाधन प्रबंधन सूचना प्रणाली में सृजित ई-पे स्लिप वाले कुल कर्मचारियों (नियमित और ठेके पर काम करने वाले) का अनुपात इन संकेतकों में शामिल हैं।
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