अनुसूचित जनजाति कल्याण योजनाओं के लिए ई-शासन पहल शुरु

नईदिल्ली,12 जून (आरएनएस)। जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में अनुसूचित जनजाति कल्याण योजनाओं के लिए ई-शासन पहलों की शुरूआत की। इस अवसर पर जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता, एनसीएसटी की उपाध्यक्ष सुअनुसुईया उइके, ट्राइफैड के अध्यक्ष रमेश चन्द मीणा और मंत्रालय में सचिव दीपक खांडेकर मौजूद थे। इस मौके पर नई ई-शासन पहलों के बारे में एक पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दी गई।
मुंडा ने अनुसूचित जन-जातियों के लिए कल्याण योजनाओं की इन ई-शासन पहलों के लिए मंत्रालय की टीम के प्रयासों की सराहना की और कहा कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के अनुसार इन पहलों से देशभर में जनजातीय समुदायों की बेहतरी में मदद मिलेगी। उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों का आह्वान किया कि वे मंत्रालयों की योजनाओं के लाभान्वितों का प्राथमिकता के आधार पर एक डेटा बैंक तैयार करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों को समय से पूर्व अपना कार्य पूरा करने का लक्ष्य हासिल करना होगा।
अपने संबोधन में श्रीमती रेणुका सिंह ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों की कल्याण योजनाओं के लिए ये उपयोगी ई-शासन पहलें मील का पत्थर साबित होंगी।
जनजातीय मामलों के मंत्रालयों ने अनुसूचित जनजाति की कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन में अधिक ई-शासन लाने के लिए डीबीटी जनजाति और एनजीओ अनुदान ऑनलाइन आवेदन और पैकिंग प्रणाली के नाम से ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया है। डीबीटी जनजाति पोर्टल में प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए तीन मुख्य मॉड्यूल हैं। डेटा शेयररिंग मॉड्यूल राज्यों द्वारा लाभान्वितों के आकड़े साझा करने के लिए है। संचार मॉड्यूल में, राज्यों के पास दस्तावेज़ों के अपलोड़ करने, सवाल उठाने की सुविधा है और राज्यों द्वारा अपलोड़ किये गये डीबीटी डेटा का इस्तेमाल धनराशि तेजी से जारी करने के लिए किया जाता है। निगरानी मॉड्यूल में एमआईएस रिपोर्टों और डेश-बोर्डों की सुविधा है।
अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों की सहायता की योजना के कार्यान्वयन के लिए विकसित एनजीओ पोर्टल, को पूरी तरह से बदला गया है और सरल आवेदन फॉर्म, निरीक्षण रिपोर्ट और फंड प्रोसेसिंग मॉड्यूल के साथ नये सिरे से डिजाइन किया गया है। पोर्टल को ऑनलाइन आवेदन के उद्देश्य से वर्ष 2019-20 के लिए एनजीओ और राज्यों के लिए फिर से खोला गया है।
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