कृषि में परमाणु ऊर्जा के उपयोग से नई क्रांति की शुरूआत : डॉ. पाटील
रायपुर, 09 मई (आरएनएस)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, (बार्क) मुम्बई के संयुक्त तत्वावधान में आज यहां कृषि महाविद्यालय, रायपुर के संगोष्ठी कक्ष में धान की उत्परिवर्तित (म्यूटेन्ट) किस्मों पर एक दिवसीय कृषक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आये प्रगतिशील कृषकों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला की अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने की। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोर्ड ऑफ रिसर्च इन न्युक्लियर साइंसेस, बार्क, मुम्बई के अध्यक्ष डॉ. एस.एफ. डिसूजा, बीम टेक्नोलॉजी डेव्हल्पमेन्ट गु्रप बार्क के सह निदेशक डॉ. वी.पी. वेणुगोपालन, बायोसाइंस ग्रुप, बार्क के सह निदेशक डॉ. आर.के. राजावत और बायोवर्सिटी इन्टरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. आर.आर. हंचिनाल उपस्थित थे। कार्यशाला के में कृषकों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बार्क, मुम्बई के सहयोग से विकसित धान की उत्परिवर्तित किस्म ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेन्टॠ-1 के विकास और उत्पादन विधि की जानकारी दी गई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने कहा कि आज-कल कृषि में परमाणु ऊर्जा का उपयोग बढ़ता जा रहा है। फसलों के अवाछित गुणों को हटाने और वांछित गुणों को उत्पन्न करने के लिये परमाणु ऊर्जा का उपयोग हो रहा है। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बार्क मुम्बई के सहयोग से परमाणु ऊर्जा के उपयोग से दुबराज धान की म्यूटेन्ट किस्म ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेन्ट-1 विकसित की गई है। रेडिऐशन द्वारा विकसित इस किस्म में पौधों की ऊंचाई में कमी की गई है और उत्पादकता में वृद्धि की गई है। दुबराज की यह बौनी किस्म लगभग 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे रही है। अब किसानों के खेतों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जाहिर कि की यह किस्म छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए उपयोगी साबित होगी।