चुनाव आयोग के अधिकारियों को किया तलब

नई दिल्ली ,15 अपै्रल (आरएनएस)। उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जाति और धर्म को लेकर नेता विवादित भाषण देते आ रहे हैं। उनके भाषणों में अली और बजरंग बली का नाम लेकर भी विवादित टिप्पणियां सुनी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान घृणा फैलाने वाली टिप्पणियों के मामले में चुनाव आयोग के प्रतिनिधि को तलब भी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के आपत्तिजनक बयान पर कड़ा एक्शन नहीं लेने वाले चुनाव आयोग के प्रति असंतुष्टि जताई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में आयोग के प्रतिनिधि को मंगलवार को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा है। जाति और धर्म को लेकर राजनेताओं और पार्टी प्रवक्ताओं के आपत्तिजनक बयानों पर राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाई। चुनाव प्रचार के दौरान जाति और धर्म को आधार बना कर घृणा फैलाने वाली टिप्पणियों से निपटने संबंधी चुनाव आयोग की शक्तियों पर गौर करने को तैयार है। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती और अन्य नेताओं के आचार संहिता के खिलाफ दिए गए बयानों को लेकर नाराजगी जताई है और आयोग के पास सीमित अधिकार होने के प्रति असंतुष्टि जताई है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जाति और धर्म को लेकर नेता विवादित भाषण देते आ रहे हैं। उनके भाषणों में अली और बजरंग बली का नाम लेकर भी विवादित टिप्पणियां सुनी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान घृणा फैलाने वाली टिप्पणियों के मामले में चुनाव आयोग के प्रतिनिधि को तलब किया है।
अली और बली को लेकर शुरू हुई थी सियासत
मालूम हो कि पिछले दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती ने सहारनपुर के देवबंद रैली में मुस्लिमों से सपा-बसपा गठबंधन को वोट देने की अपील की थी। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर कांग्रेस, सपा और बसपा को अली पर विश्वास है तो हमें भी बजरंग बली पर विश्वास है। योगी के इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा था और शुक्रवार शाम तक जवाब देने को कहा था। अपने जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी मंशा गलत नहीं थी। वह भविष्य में इस तरह के बयान देने में सतर्कता बरतेंगे।
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