किसान संगठन करेंगे आरसीईपी मुक्त व्यापार समझौते का बहिष्कार
नई दिल्ली ,14 मार्च (आनएनएस)। चालीस से अधिक किसान संगठनों ने नई दिल्ली में मिलकर आर सी ई पी ( क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) मुक्त व्यापार समझौते जिसमें भारत अन्य 16 देशों, जिनमें चीन, आस्ट्रेलिया और 10 आसियान देश शामिल है, के साथ बातचीत कर रहा है, का बहिष्कार किया है।
यहां नई दिल्ली में दो दिन तक किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के बाद सरकार और राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए किसान संगठनों के अखिल भारतीय समन्वय संगठन के नेताओं भाकियू के राकेश टिकैत व युद्धवीर सिंह के अलावा शेतकारी संघ के विजय जावंदिया, कर्नाटक राज्य रायत संघ के माली पाटिल, तमिलगा विवासैयागल संघ के सेलामट्टू, आदिवासी गोत्र महासभा की सीके जानू ने गुरुवार को एक संयुक्त संवाददाता में कहा कि आरसीईपी समझौता व्यापार की जाने वाली चीजों में 92 प्रतिशत पर टैरिफ खत्म कर देगा और सस्ते आयात के लिए दरवाजे खोल देगा जिससे पहले से ही संकट से जूझ रहे कृषि क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। यह समझौता जनसंख्या के संदर्भ में विश्व का अब तक का सबसे बड़ा समझौता होगा (विश्व की जनसंख्या का 49 प्रतिशत), जिसमें 22 ट्रिलियन डॉलर और विश्व व्यापार का 30 प्रतिशत शेयर। यह विश्व व्यापार संगठन से दो कदम और आगे निकलते हुए भारत की संप्रभता में अपने किसानों के हितों और उनकी आजीविका पर कई तरह से प्रतिबंधित कर देगा। हालांकि भारत व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर केवल 80 प्रतिशत तक टैरिफ घटाने के लिए जोर दे रहा है, पर यह समझौता भारत को बाद में अपनी ड्यूटी बढ़ाने का मौका नहीं देगा। आस्ट्रेलिया जैसे देश अपने अतरिक्त उत्पादन जैसे कि चीनी , गेहूं और डेयरी उत्पादों के डंप करने के लिए बाजार खोज रहे हैं और यह समझौता उसका जरिया बनेगा। यह बात क्त. विश्वजीत धर ने कार्यशाला के दौरान अनौपचारिक बातचीत में बताई। यह समझौता हमारे बीज संबंधी कानूनों को भी धता बता देगा। यह बीज कंपनियों को मजबूती देगा नकी किसानों को। और किसानों द्वारा वर्षों से संरक्षित रखकर बीजों का उपयोग करने को भी रोकेगा।
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