स्वाईन फ्लू रोकथाम एवं बचाव के संबंध में रखें एहतियात : डॉ.सिसोदिया
कोरबा 23 जनवरी (आरएनएस)। स्वाईन फ्लू या इन्फ्लूएन्जा ए एच1एन1 वायरस के संक्रमण से होने वाली श्वसन तंत्र की संक्रामक रोग है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में श्वसन तंत्र के द्वारा फैलती है। संक्रमित व्यक्ति से उसके छींकते एवं खांसते वक्त वायरस वातावरण में ड्रापलेट के रूप में फैलते हैं, जो उस वातावरण में श्वांस लेने वाले व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश कर उसे संक्रमित करते हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पी एस सिसोदिया ने बताया है कि स्वाईन फ्लू के लक्षण मौसमी फ्लू की तरह ही होते हैं। इसमें बुखार, सर्दी, खांसी, छींक, कॅफ जमना, गले में खरॉश, सिर दर्द, बदन दर्द, ठंड लगना और थकान की शिकायतें होती हैं। कुछ प्रकरणों में उल्टी दस्त एवं पेट दर्द भी हो सकता हैं। गंभीर मरीजों में तेज बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ होती है। इस बीमारी में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के एक से सात दिनों में स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। लक्षण समाप्त होने के बाद संक्रमित व्यक्ति सात दिनों तक संक्रमण फैला सकता है। बच्चों, वृद्धों एवं पूर्व से अस्वस्थ व्यक्तियों में स्वाईन फ्लू के संक्रमण के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
स्वाईन फ्लू से बचाव हेतु जनसामान्य का एहतियात बरती जाना नितांत आवश्यक है। जिसमें प्रमुख सावधानी के रूप से खांसते एवं छींकते समय अपने मुंह एवं नाक को रूमाल से या टीशू पेपर से ढकें, खांसने या छींकने वाले व्यक्ति से कम से कम एक हाथ दूर रहें, भीड़ भरी स्थानों पर जाने से बचें, अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन व पानी से धोते रहें, खानपान में सावधानी बरते व भोजन में सुपाच्च एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें, पर्याप्त नींद ले, तनाव से बचें एवं शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी एवं अन्य तरल पदार्थ का सेवन करें। यदि स्वाईन फ्लू के सामान्य लक्षणों से पीडि़त होने की आषंका हो तो घर पर ही रहें, स्कूल अथवा कार्यालय न जाएं व सीमित व्यक्तियों से ही मिलें। सर्दी, खांसी या श्वसन तंत्र से कोई भी तकलीफ हो तो तुरंत निकट के अस्पताल में जांच एवं उपचार करा लें। स्वाईन फ्लू के प्रकोप वाले स्थानों पर जाने से बचें। यदि जाना आवष्यक हो तो मुंह में मास्क लगावें। स्वाईन फ्लू के संबंध में अन्य जानकारी हेतु टोल फ्री नंबर ‘104Ó सेवा से संपर्क कर प्राप्त किया जा सकता है।
वर्तमान में राज्य के कुछ जिले में भी स्वाईन फ्लू के कुछ प्रकरण प्रकाश में आया है, इस स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए बीमारी की गंभीरता के मद्देनजर जिले के सभी शासकीय चिकित्सालय प्रमुखों को पूर्व से ही दिशा-निर्देश जारी करते हुए बीमारी की सामान्य जानकारी, लक्षण, जटिलताएं, मरीजों का वर्गीकरण, उपचार प्रोटोकॉल, मरीजों का प्रबंधन, बीमारी के रोकथाम का प्रबंधन, कान्टेक्ट ट्रेसिंग, मानिटरिंग, धनात्मक मरीजों का सर्विलेंस, मरीजों की पूर्ण जानकारी इंद्राज करना, लैब सेंपल एवं रिपोर्टिंग इत्यादि का गतिविधियों का अनुसरण करने की हिदायत दी गई है। साथ ही जिले में स्वाईन फ्लू से बचाव हेतु आवष्यक मेडीसीन जिला चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों उपलब्ध है। जहां चिकित्सकीय परामर्श अनुसार नि:शुल्क उपचार प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त जिले के क्षेत्रों में स्वाईन फ्लू संभावित मरीज पाये जाने की स्थिति में तत्काल इसकी सूचना संग्रहण हेतु कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला कोरबा के आई.डी.एस.पी. इकाई में नियंत्रण कक्ष स्थापित है, जहां के प्रभारी अधिकारी डॉ. राकेश अग्रवाल, मोबाईल नं. 9340524400 हैं।