सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण

नई दिल्ली ,22 जनवरी (आरएनएस)। सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार के नए एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में तहसीन पूनावाला की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि ये संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के साथ छेड़छाड़ है। वहीं आरक्षण के लिए अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय की गई है जिसका उल्लंघन किया गया है। इस मामले में पहले ही एक अन्य एनजीओ की ओर से डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा ने भी अर्जी दाखिल की हुई है।
पूनावाला की ओर से इस मामले में भारत सरकार और अन्य को प्रतिवादी बनाया है। अर्जी में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद-16 में सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर रिजर्वेशन देने की बात है। लेकिन केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर उसमें आर्थिक आधार भी जोड़ा है। जबकि आर्थिक आधार पर रिजर्वेशन का प्रावधान संविधान में नहीं है। ऐसे में संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के साथ ये छेड़छाड़ है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी जजमेंट में व्यवस्था दे रखी है कि 50 फीसदी से ज्यादा रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता और मौजूदा एक्ट के तहत दिया गया रिजर्वेशन 10 फीसदी है और इस तरह 50 फीसदी की सिलिंग को पार किया गया है। इस तरह देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच के जजमेंट के विपरीत ये एक्ट पास किया गया है। इस मामले में संविधान संशोधन एक्ट को रद्द करने की गुहार लगाई गई है और साथ ही कहा गया है कि तत्काल उस पर स्टे किया जाना चाहिए।
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