अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को तृतीय-चतुर्थ श्रेणी पदों की भर्ती में मिलेगी प्राथमिकता
रायपुर, 21 जनवरी (आरएनएस)। राज्य मंत्रिमंडल की आज संपन्न हुई बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। इसमें प्रमुख रूप से धान खरीदी की प्रक्रिया, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने, अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति में प्राथमिकता देने, लैंड डायवर्सन की प्रक्रिया सरल करने जैैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं।
मंत्रालय में संपन्न हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में आज कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इसमें तय किया गया कि राज्य सरकार जैम पोर्टल के बजाए खुद का पोर्टल तैयार कर इसके माध्यम से धान खरीदी करेगा। इसमें कम से कम 6 माह का समय जरूर लगेगा, लेकिन अब तक पुराने पोर्टल से होने वाली असुविधाओं से बचा भी जा सकेगा। वर्तमान में पुरानी पद्धति से ही धान खरीदी चल रही है। लिहाजा सीएसआईडीसी के जरिये समान की खरीदी होगी। इसके अलावा स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दिए जाने पर भी चर्चा हुई। बैठक में तय हुआ कि स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए इनसे ही सामग्रियां आदि क्रय करने के लिए प्राथमिकता तय की जाएगी। राज्य के अनुसूचित बाहुल क्षेत्रों में स्थानीय शिक्षित युवा बेरोजगारों को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों में होने वाली भर्तियों में प्राथमिकता दिए जाने का भी निर्णय लिया गया है। इसके पहले भी भाजपा सरकार ने इस तरह की पहल शुरू की थी। कांग्रेस सरकार ने इस निर्णय को आगामी दो वर्ष के लिए और बढ़ा दिया है, पांचवी अनुसूची क्षेत्र में बस्तर, सरगुजा संभाग के अलावा कोरबा जिले को भी शामिल किया गया है।
राज्य के किसानों के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है, इसके तहत 31 जनवरी तक राज्य के किसान जितना भी धान बेचेंगे उतनी खरीदी की जाएगी। इस बार उम्मीद है कि खरीदी का लक्ष्य 85 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा 90 लाख मीट्रिक टन के करीब हो सकता है।
मंत्रिमंडल में लिए गए निर्णयों के अनुसार धान की बंपर पैदावार को देखते हुए यह भी निर्णय लिया गया है कि पुराने बोरों में भी धान की खरीदी होगी। छोटे भूखंडों के क्रय-विक्रय की प्रक्रिया में बटांकन की अनिवार्यता को समाप्त करने के निर्णय से जनता को मिली राहत को देखते हुए अब राज्य सरकार ने लैंड डायवर्सन की प्रक्रिया को भी सरलीकरण करने का निर्णय लिया है, इससे जमीन के हस्तांतरण में होने वाली दिक्कतों को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। इससे छोटे भूखंड धारियों को अपनी जमीन, मकान बेचने और क्रय करने में बड़ी आसानी हो जाएगी।