दिल्ली में कांग्रेस-आप में गठबंधन नहीं, भाजपा के लिए मौका

नई दिल्ली ,19 जनवरी (आरएनएस)। लोकसभा चुनाव-2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की चर्चाओं को खत्म करते हुए शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली और पंजाब में अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी। इसके साथ ही दिल्ली में लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष होना तय हो गया है। भाजपा के लिए यह घोषणा मनोबल बढ़ाने वाला माना जा रहा है क्योंकि अगर आप और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते तो एकजुट विपक्ष की ताकत के सामने भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी। बीजेपी त्रिकोणीय संघर्ष को मौके के तौर पर देख रही है।

2015 चुनाव में आप को मिला था प्रचंड बहुमत

2015 के विधानसभा चुनाव में आप को 54 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि, 2017 के नगर निगम चुनाव में आप का वोट प्रतिशत घटकर 26त्न पहुंच गया जबकि बीजेपी को 37 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस वोट प्रतिशत 10 फीसदी से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गया था। अगर आप और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते तो बीजेपी के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो जाती।

आप ने कांग्रेस को बताया अहंकारी

आप ने कांग्रेस को अहंकारी बताते हुए दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा की है। हालांकि पिछले साल दिसंबर से ही आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात खटाई में पड़ गई थी। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद शीला दीक्षित ने भी साफ किया था कि आप से कोई गठबंधन नहीं होगा। आप सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा में पूर्व पीएम राजीव गांधी से भारत रत्न वापसी वाले प्रस्ताव ने गठबंधन की बात पूरी तरह बिगाड़ दी थी। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था और कहा था कि दिल्ली की सत्तारूढ़ दल भरोसेमंद नहीं है।

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