हाईकोर्ट ने मांगा सेना और सरकार से जवाब

नई दिल्ली ,16 जनवारी (आरएनएस)। भारतीय सेना में जाति को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सेना और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। थल सेना में ही सिर्फ जाति आधारित भर्तियां होती हैं, वायु और नौ सेना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ज्ञात हो कि भारतीय सेना के तीन जातियों (जाट, जाट सिख, राजपूत) से आनेवाले जवान ही सिर्फ आर्मी की सबसे पुरानी रेजिमेंट में, भारतीय राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड (पीबीजी) के तौर पर भर्ती हो सकते हैं।
रेजिमेंट और क्षेत्र का है रिश्ता
इस एक रेजिमेंट को छोड़कर किसी अन्य रेजिमेंट में शामिल होने के लिए जाति कोई आधार नहीं है। क्षेत्र और धर्म के आधार पर भी भर्ती में भेदभाव का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, समूह में कुछ रेजिमेंट में जवानों की भर्ती होती है जैसे मराठा रेजिमेंट, राजस्थान राइफल्स, डोगरा रेजिमेंट और जाट रेजिमेंट।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण
देश की कई अदालतों में समय-समय पर ऐसी याचिकाएं दाखिल की जाती रही हैं जिनमें सेना में जाति आधारित भर्तियों को रद्द करने की मांग की जाती है। इसे अंसवैधानिक करार देते हुए इस प्रावधान को खत्म करने की मांग समय-समय पर की जाती रही है।
आर्मी के पास हैं अपने तर्क
आर्मी का कहना है कि पीबीजी में नियुक्ति का एक पुराना इतिहास रहा है और यह सिर्फ ऐतिहासिक परंपरा का ही उदाहरण है। यह ब्रिटिश काल से ही प्रक्रिया में है। ब्रिटिश साम्राज्य ने वीरता और वफादारी के अपने निजी अनुभव के आधार पर यह व्यवस्था शुरू की थी। 1857 की क्रांति के बाद से इस परंपरा पर जोर दिया गया था।
भारतीय सेना क्षेत्र आधारित रेजिमेंट को जरूरी मानती है। सेना का कहना है कि प्रशासनिक सुविधा के साथ ऑपरेशन के दौरान इन क्षेत्र आधारित रेजिमेंट बहुत सहायक होते हैं। सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई समानता को ध्यान में रखते हुए इन रेजिमेंट्स को बनाया गया है। ऑपरेशन के दौरान ऐसी समानता के कारण युद्द क्षेत्र में संग्राम जीतना आसान रहता है।

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