राज्यसभा में आरक्षण संबन्धी विधेयक पर चर्चा

नई दिल्ली ,09 जनवारी (आरएनएस)। लोकसभा में मंगलवार रात को पारित हुए सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में बुधवार को जोरदार चर्चा चल रही है। तकनीकी खामियां और इस विधेयक को अधूरा करार देने तथा केंद्र सरकार पर इस विधेयक को चुनाव स्टंट बताने जैसी टिप्पणियों के बावजूद कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे अनेक विपक्षी दल समर्थन दे रहे हैं, जिससे तय माना जा रहा है कि इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिल जाएगी।
संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बुधवार को बढ़ाए जाने के बाद सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर जोरदार चर्चा जारी है। हालांकि बुधवार को जब सुबह उच्च सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस जहां नागरिकता संबंधी विधेयक को लेकर विरोध कर रहे थ,े वहीं द्रमुक सहित कई अन्य दल आरक्षण संबंधी विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहे थे। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक तक स्थगित कर दिया गया। 12 बजे फिर शुरू हुई सदन की बैठक में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने सामान्य वर्ग के लोगों को शैक्षणिक संस्थाओं और नौकरियों में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने संबंधी संविधान 124वां संशोधन विधेयक पेश किया। कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने आरक्षण संबंधी विधेयक को अधूरा बताया तो कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सामान्य वर्ग के आरक्षण का समर्थन कर रही है, लेकिन पार्टी की मांग है कि इस पर व्यवस्था संबंधी प्रक्रिया का पालन किया जाये। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के कनिमोई के प्रस्ताव का समर्थन करते हुये इस पर चर्चा कराने की भी मांग की। वहीं इसी बीच कांग्रेस के भुवनेश्वर कालिता ने पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता संबंधी विधेयक के जबरदस्त विरोध का हवाला देते सदन में गृह मंत्री से सदन में वक्तव्य देने की मांग की। इस पर हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
उच्च सदन की कार्यवाही जब दो बजे शुरू हुई तो सदन में पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकता संबन्धी विधेयक पर अपना वक्तव्य दिया। इसके बाद आरक्षण संबंधी विधेयक पर चर्चा को आगे बढ़ाया गया, जिसमें भाजपा के प्रभात झा, कांग्रेस के आनंद शर्मा, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, माकपा के टीके रंगराजन, राजद के मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक अब्राईन, भाजपा के डी राजा, तेदेपा के वाई एस चौधरी, टीआरएस के बंदा प्रकाश, माकपा के ई करीम, मनोनीत सदस्य नरेंद्र जाधव आदि ने भी इस विधेयक की चर्चा में हिस्सा लिया।
अगड़े भी चलाते हैं रिक्शा
इससे पहले विपक्षी नेताओं के सवालों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधान के किसी भी प्रावधान में बदलाव या संशोधन किया जा सकता है। प्रसाद ने कहा कि सच्चाई यह है कि अगड़े वर्ग के लोग भी आपको रिक्शा चलाते मिलेंगे। उन्हें भी अवसर मिलना चाहिए। आपने वह काम नहीं किया और हम कर रहे हैं तो आप (विपक्ष) सवाल कर रहे हैं। आपको किसने रोका था? अभी तक सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण दिया गया। राज्यों से परामर्श न लेने के सवाल पर प्रसाद ने साफ कहा कि इस केस में ऐसा करना जरूरी नहीं है। यह बिल सभी को समान अवसर उपलब्ध कराएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण को छुआ भी नहीं जा रहा है। उन्होंने बताया कि 2010 में यूपीए की सरकार के समय एक कमिटी ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने का सुझाव दिया था पर उस समय उन्हें लागू करने से किसने रोका था?
आर्थिक आधार पर आरक्षण: गहलोत
राज्यसभा में आरक्षण संबन्धी बिल पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री थांवरचंद गहलोत ने कहा कि इस ऐतिहासिक बिल को लोकसभा ने पारित किया है और इसे आज यहां पेश किया हूं। इसे पास करने की आवश्यकता है। यह बिल आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए है। यह विधेयक सामान्य वर्ग के गरीबों के शैक्षणिक और रोजगार संबंधी सशक्तीकरण के लिए लाया गया है। गहलोत ने कहा कि आर्टिकल 15 में एक सब आर्टिकल 6 जोड़ा जा रहा है। इसी तरह आर्टिकल 16 में भी एक अतिरिक्त सब-आर्टिकल जोड़ा जा रहा है। इसके पहले भी कई सरकारों ने समय-समय पर इसकी कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज किया। इसकी वजह यह थी कि संविधान में आर्थक आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं था। अब संशोधन के जरिए पहली बार इसका प्रावधान किया गया।
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