अभिभाषण पर चर्चा न कराए जाने से भड़का विपक्ष

रायपुर, 08 जनवरी (आरएनएस)। विधानसभा सत्र के आज तीसरे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा न होने से प्रमुख विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। भाजपा सदस्यों ने जहां इसे नई परंपरा बताते हुए हंगामा किया तो वहीं जोगी कांग्रेस ने भी भाजपा सदस्यों का साथ देते हुए हंगामा किया। इस पर आसंदी ने वर्ष 2010 में भी इसी तरह की व्यवस्था आने और अभिभाषण पर चर्चा न कराते हुए दूसरे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होने की जानकारी देते हुए विपक्षी दलों की आपत्ति को खारिज कर दिया।
विधानसभा में आज भाजपा के सदस्य काफी आक्रामक दिखे। विधानसभा में अब तक की परंपरानुसार राज्यपाल के अभिभाषण के दूसरे दिन इस पर चर्चा होती है। लेकिन आज जैसे ही सत्र प्रारंभ हुआ राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा न कराते हुए दूसरे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कराने का प्रस्ताव आया। इस पर भाजपा सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि विधानसभा की यह परंपरा नहीं है। राज्यपाल के अभिभाषण के दूसरे दिन अभिभाषण पर चर्चा होती है और यही परंपरा रही है। भाजपा सदस्यों ने अनुपूरक बजट प्रस्ताव लाए जाने और इस पर चर्चा से इंकार करते हुए सबसे पहले अभिभाषण पर चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। इस पर पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर शब्दबाण चले। भाजपा सदस्यों ने इसे राज्यपाल का अपमान बताते हुए कहा कि यह विधानसभा की परंपराओं को बदलने का प्रयास हो रहा है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत ने सभी सदस्यों को शांत कराया। विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा-आरोप लगाने और हंगामा करने वाले सदस्य यह भूल गए हैं कि वर्ष 2010 में सत्तासीन दल ने इस परंपरा की शुरूआत की है। तब भी सदन में अभिभाषण पर चर्चा न कराते हुए दूसरे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कराई थी, तब विपक्ष के आपत्तियों को खारिज कर दिया गया था। इस पर भाजपा सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने आसंदी से कहा कि यह परंपराओं के विरुद्ध हैं, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि आपने अध्यक्ष की शपथ लेते समय यह कहा था कि विधानसभा की परंपराओं को आगे ले जाएंगे। ऐसी व्यवस्था देंगे कि देश-विदेश में छत्तीसगढ़ विधानसभा की एक अलग छवि बनेगी और सदन का नाम रौशन होगा। आज सदन की परंपरा टूटती नजर आ रही है। इस पर अध्यक्ष डा. महंत ने कहा कि वर्ष 2010 में भी इसी तरह की व्यवस्था आई थी और तब विपक्ष के आपत्तियों को खारिज करते हुए दूसरे अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कराई गई थी, लिहाजा वे भी अनुपूरक बजट पर चर्चा कराने के पक्ष में हैं। संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि वर्ष 2010 में भी इसी तरह अभिभाषण पर चर्चा नहीं कराते हुए दूसरे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कराई गई थी तो आज दूसरे विषयों पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती? इस पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि तब क्या परिस्थितियां थी और किन विषयों पर चर्चा हुई थी? इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »