तीखी बहस और विपक्ष के वाक आउट के बाद पारित हुआ तीन तलाक बिल
नई दिल्ली ,27 दिसंबर (आरएनएस)। तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखने वाला बहुप्रतीक्षित मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण बिल के गुरूवार को एक बार फिर से लोकसभा की देहड़ी पार कर गया। कुछ बदलावों केसाथ फिर से लाए गए इस बिल पर चर्चा के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। कांग्रेस, टीएमसी, बीजेडी, वाम दल, सपा, एनसपी सहित कई दलों ने इसे धर्मविशेष में सरकारी हस्तक्षेप करार देते हुए इसे ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी (संयुक्त प्रवर समिति) को भेजने की मांग न माने जाने के विरोध में सदन का वाकआउट किया। सरकार ने पुराने बिल में विपक्ष के कई प्रस्तावों को स्वीकार किए जाने का हवाला देते हुए इसे महिलाओं के अधिकार और सम्मान से जोड़ कर विपक्ष की मांग अनसुनी कर दी। बिल के समर्थन में 245 और विरोध में 11 मत पड़े।
भोजनावकाश के बाद कानून मंत्री द्वारा इस बिल को सदन में रखने से पहले ही इस पर विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया। विपक्ष ने तीन तलाक को दीवानी की जगह अपराध की श्रेणी में डाले जाने, तीन तलाक देने वालों को तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान करने और तलाक देने वाले के जेल जाने के बाद पीडि़ता के लिए मुआवजा तय नहीं किए जाने पर सवाल खड़े किए। विपक्ष ने इस बिल को असंवैधानिक बताया और एकसुर से सर्वसम्मति बनाने केलिए इसे ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की। कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि इस बिल को तैयार करते समय इससे जुड़े किसी पक्ष से बात नहीं की गई है। टीएमसी, बीजेडी, वाम दल, सपा, राजद, एनसीपी, एआईएमआईएम सहित कई दलों ने खडग़े का समर्थन किया। इस दौरान खडग़े ने सरकार पर एक धर्मविशेष के मामले में हस्तक्षेप का भी आरोप लगाया।
चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने कहा कि नए बिल में विपक्ष के सुझावों केअनुरूप कई बदलाव किए गए हैं। मसलन नए बिल में पीडि़त और उसके खून के रिश्तेदार को ही एफआईआर दर्ज करने, मजिस्ट्रेट को पीडि़त का पक्ष सुनने के बाद जमानत देने और समझौते कराने का अधिकार दिया गया है। कानून मंत्री ने कहा कि इसे सियासी नहीं इंसाफ और इंसानियत के नजरिये से देखा जाना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किए जाने और इसके खिलाफ कानून बनाने के निर्देश के बाद जरूरी कदम उठा रही है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद भी छोटी-छोटी बातों पर व्हाट्स एप, फोन या मौखिक तौर पर तीन तलाक की घटनाओं पर रोक नहीं लगी है। अकेले उत्तर प्रदेश से 400 से अधिक मामले सामने आए हैं। कानून मंत्री ने कहा कि यह नारी केसम्मान, शुचिता और अधिकार के बात है और मोदी सरकार इस मामले में पीडि़त महिलाओं के साथ हर हाल में खड़ी रहेगी।
बिल के पक्ष में 245 तो विरोध में 11 मत
चर्चा के बाद हुई वोटिंग के बीच कई विपक्षी दलों केसदन के बहिष्कार के कारण बिल के समर्थन में 238 और विरोध में महज 12 मत पड़े। इस दौरान असादुद्दीन ओवैसी का प्रस्ताव भी गिरा। कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सपा, राजद, वाम दल, आप, बीजेडी ने इसी मुद्दे पर वाक आउट किया। जबकि अन्नाद्रमुक ने कावेरी नदी पर बांध बनाए जाने केखिलाफ वाकआउट किया।
विपक्ष की गोलबंदी बनी सरकार की परेशानी्र
सरकार ने लोकसभा मेंं बीते साल की तरह इस साल भी भले ही बिल को पारित करा लिया हो, मगर राज्यसभा में उसकी अग्निपरीक्षा बाकी है। इस बीच इस मुद्दे पर विपक्षी दलों केहाथ मिला लेेने और बिल को ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने पर बनी सहमति ने राज्यसभा में पहले ही संख्या बल की कमी से जूझ रही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। गौरतलब है कि बिल कानूनी जामा तभी पहनेगा जब इस पर राज्यसभा की मुहर लगेगी। इसके आसार बेहद कम हैं।
सरकार को मिलेगा विपक्ष पर हमले का मौका
सरकार और भाजपा के रणनीतिकारों को भी पता है कि इस बिल का कानूनी जामा पहनना बेहद कठिन है। यही कारण है कि इस अंतिम सत्र के बाद मुस्लिम महिलाओं केअधिकारों के सवाल पर पार्टी ने विपक्ष पर लगातार हमला करने की रणनीति बनाई है। विपक्ष पर हमला करने केलिए पार्टी पहले ही मुस्लिम प्रभाव वाले राज्योंं में तीन तलाक समूह बना चुकी है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि चूंकि पार्टी का अब भी मुसलमानों में कोई अहम प्रभाव नहीं है, ऐसे में इस बिल के जरिए वह इस समुदाय के महिलाओं केएक वर्ग में अपनी पैठ बना सकता है।
सबरीमाला में क्यों नहीं दिखता बराबरी का अधिकार
बिल पर चर्चा के दौरान सरकार ने जब लैंगिक बराबरी का तर्क दिया तो कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने पूछा कि यही दुहाई सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश सुनिश्चित करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकार दोहरा रवैया क्यों अपना रही है। इस पर भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने जाखड़ को अपनी ही पार्टी के सांसद शशि थरूर के बयान की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि तीन तलाक को सबरीमाला से जोडऩा गलत है। क्योंकि दोनों ही मामले का संदर्भ अलग-अलग है।
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