मौत के 10 महीने बाद कोर्ट से मिला न्याय

नई दिल्ली ,20 दिसंबर (आरएनएस)। हाईकोर्ट के एक फैसले ने 17 साल पहले अपनी ही नाबालिग बेटी से कथित दुष्कर्म मामले में शख्स दोषमुक्त कर दिया है। ज्ञात हो कि उक्त शख्स को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहरा गया था। हालांकि वह व्यक्ति सजा सुनने के लिए अब जिंदा नहीं है। आखिरकार अपनी मौत के 10 महीने बाद उसे इंसाफ  मिला जबकि वह पहले दिन ही से अपनी बेगुनाही का दावा करता रहा था। इस मामले को देखकर ऐसा कहा जा सकता है कि भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं है।

कोर्ट ने बुधवार को अपने एक फैसले में मृतक को इस मामले में बरी कर दिया। ट्रायल कोर्ट के गलत दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में न तो जांच सही ढंग से की गई और न ही ट्रायल सही हुआ। इसके चलते अभियुक्त को 10 साल जेल में गुजारने पड़े। जस्टिस आरके गाबा ने अपने 22 पेज के फैसला में कहा कि अभियुक्त पहले दिन से ही इस मामले में उसकी लड़की को अगवा करने और बहकाने वाले लड़के द्वारा साजिश का आरोप लगाता रहा।

जनवरी 1996 में दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करने के वक्त लड़की गर्भवती थी लेकिन जांच एजेंसी और ट्रायल कोर्ट ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। अभियुक्त पिता ने भ्रूण का सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट कराने को भी कहा लेकिन पुलिस ने उसकी नहीं सुनी। इतना ही नहीं, ट्रायल कोर्ट ने भी जांच एजेंसी को इस मुद्दे पर कोई निर्देश नहीं दिए।

 

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