दांव पर सभी दिग्गजों की प्रतिष्ठïा
नईदिल्ली ,07 दिसंबर (आरएनएस)। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव विभिन्न कारणों से सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी कांग्रेस के लिए करो या मरो का सवाल है। नतीजे भारतीय राजनीति की अजेय जोड़ी माने जाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी-भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रतिष्ठïा से सीधे जुड़ा है। इसके अलावा इन चुनावों से चार क्षत्रपों तेलंगाना, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के क्षत्रपों क्रमश: केसीआर, शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह, वसुंधरा राजे सिंधिया का भी भविष्य जुड़ा है। गौतलब है कि भाजपा लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार एक साथ तीन ऐसे राज्यों में चुनाव का सामना कर रही है जहां वह खुद सत्तारूढ़ है।
पीएम मोदी-शाह की सियासी जोड़ी की बात करें तो वर्ष 2014 के लेाकसभा के साथ करीब-करीब सभी विधानसभा चुनावों में मिली जीत ने इस जोड़ी की छवि अजेय बना दी है। अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ये विधानसभा चुनाव इस जोड़ी की अंतिम अग्नि परीक्षा है। चुनावों में मिली सफलता जहां इस जोड़ी के अजेय होने की पुष्टिï कर विपक्ष की परेशानी बढ़ाएंगे, वहीं असफलता से विपक्ष की सांस में सांस आएगी।
भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि लोकसभ चुनाव के बाद उसने पार्टीशासित दो ही राज्यों गोवा और गुजरात में चुनाव का सामना किया। इन दोनों ही जगहों पर हालांकि पार्टी ने सत्ता बरकरार रखी, मगर सीटों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई। अब जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं उनमें से तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी की सरकार है। इनमें से दो राज्यों में पार्टी पिछला तीन चुनाव जीत चुकी है।
राहुल के लिए करो या मरो
ये चुनाव भाजपा केलिए ही नहीं लोकसभा के बाद विभिन्न राज्यों में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी अग्निपरीक्षा है। सफलता उन्हें लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नेता के रूप में स्थापित कर देगी तो असफलता कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के हाथों लोकसभा चुनाव में खिलौना बनने पर मजबूर कर देगी। इतना ही नहीं हार के बाद पार्टी में भी नए नेतृत्व के सामने किनारे कर दिए गए बुजुर्ग नेता राहुल की नीतियों पर सवाल खड़ा कर उनकी परेशानी बढ़ा सकते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो राहुल के समक्ष इन चुनावों में सफल होने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
क्षत्रपों का भविष्य भी होगा तय
चुनाव केनतीजे पीएम मोदी-शाह, राहुल ही नहीं कई दिग्गज क्षत्रपों के भविष्य की राह भी तय करेंगे। इन चुनावों में शिवराज, वसुंाधरा, रमन सिंह, तेलंगाना के सीएम केसीआर सहित कांग्रेस के क्षत्रपों का भी भविष्य तय होगा। चुनाव में असफलता के बाद वसुंधरा केलिए राजस्थान की राजनीति में जहां पांव जमाने रखना कठिन होगा, वहीं शिवराज और रमन के सामने भी ऐसी ही स्थिति आएगी। इसके उलट सफलता इन नेताओं की छवि को निर्विवाद रूप से अपने विरोधियों पर भारी बनाएगी।
नतीजे पर सबकी निगाहें
नतीजे पर सत्तारूढ़ राजग के सहयोगियों, कांग्रेस ही नहीं गैरभाजपा-गैरकांग्रेस विपक्ष की भी निगाहें टिकी हैं। राजग में भाजपा से खार खाए दल असफलता के बाद भाजपा के लिए नई परेशानी खड़ी करेंगे। इसके अलावा पार्टी में किनारे कर दिए गए नेताओं के स्वर भी बुलंद हो सकते हैं। नतीजे आने के बाद गैरकांगे्रस-गैरभाजपा दल जहां लोकसभा चुनाव की रणनीति में कांग्रेस को शामिल करने या न करने पर अंतिम फैसला लेंगे, वहीं कई ऐसे दल कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार करने से नहीं हिचकेंगे।
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