सर गंगाराम में 14 महीने के पाकिस्तानी बच्चे को मिली धड़कन
नई दिल्ली ,22 नवंबर (आरएनएस)। पाकिस्तान में पैदा हुए जगदीश राम ने अभी अपने पैरों पर ठीक से खड़े होना भी नहीं सीखा था और उसकी सांस फूलने लगी, वह सरकता था तो उसकी सांस फूलने लगती थी। डॉक्टरी जांच में पाया गया कि 14 महीने के जगदीश के दिल के बाएं तरफ के ऊपरी हिस्से (लेफ्ट एट्रियम) इतना बढ़ गया है कि उससे सांस की नली पर दबाव बन रहा है। ऊपरी हिस्से का आकार कई गुना अधिक हो गया था। इसके अलावा उसके दिल के बाएं हिस्से में ही दूसरी बीमारी भी थी, वहां पर वॉल्व लीक कर रहा था। साथ ही दिल के बाएं और दाहिने हिस्से के बीच में छेद भी था।
जन्म के साथ दिल में तीन-तीन बीमारी के साथ उसे पाकिस्तान से गंगाराम हॉस्पिटल रेफर किया गया था। यहां के डॉक्टर ने इस चुनौती को स्वीकार कर सफल सर्जरी को अंजाम दिया है। डॉक्टर का दावा है कि मेडिकल लिट्रेचर में इतने छोटे बच्चे में इतना बड़ा लेफ्ट एट्रियम को काट कर कभी भी नॉर्मल नहीं बनाया गया है। इस केस को विश्व की जानी मानी मेडिकल जरनल दी एनल्स ऑफ थोरेसिक सर्जरी ने छापने के लिए स्वीकार कर लिया है।
अस्पताल के पीडिएट्रिक्स कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नीरल अग्रवाल ने कहा कि बच्चा कुछ खा पी नहीं पा रहा था, उसे बार बार छाती में संक्रमण हो रहा था, ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था, सांस फूल रही थी, इसलिए उसका विकास भी नहीं हो पा रहा था। उसका वजन सिर्फ साढ़े छह किलो था। एक साथ दिल की तीन बड़ी बीमारी से वह पीडि़त था। जांच में पता चला कि बाएं तरफ का दिल लेफ्ट एट्रियम काफी फैला हुआ है। बच्चों का लेफ्ट एट्रियम का साइज 12 से 20 मिलीलीटर होता, जबकि इस बच्चे का वॉल्यूम 87 मिलीलीटर था। उसकी सांस की नली पर सीधे दबाव बन रहा था। इस दबाव से सांस लेने में भी मुश्किल हो रही थी। इसके अलावा बच्चे के दिल में बड़ा छेद भी था और बाएं तरफ का वॉल्व भी लीक हो रहा था।
बच्चे की सर्जरी करने वाले डॉक्टर राजा जोशी ने बताया कि यह एक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी, क्योंकि केवल कुछ मामलों में ही 2 साल से कम उम्र के बच्चों में इतना बड़ा लेफ्ट एट्रियम देखा गया है। हमने बच्चे को पहले स्टेज में ओपन हार्ट सर्जरी से छेद बंद कर दिया, फिर वॉल्व की मरम्मत की गई और बढ़े हुए लेफ्ट एट्रियम के आकार को घटा कर कम कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इसमें छह घंटे का समय लगा। इस बारे में डॉक्टर मृदुल अग्रवाल ने बताया कि जब लेफ्ट एट्रियम का आकार बढ़ता है, तो सांस नली और फेफड़े की धमनियों पर दबाव बढ़ता है, जिससे बीमारी और गंभीर हो जाती है, इसलिए समय पर सर्जरी जरूरी है, क्योंकि सर्जरी ही इसका एक मात्र इलाज है। अगर समय पर सर्जरी न होने से पेशंट की जान का खतरा भी होता है।
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