देसी सुपरफूड्स के सहारे देश से कुपोषण दूर करने का प्रयास

नई दिल्ली ,10 नवंबर (आरएनएस)। आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) ने कुपोषण जैसी समस्या को दूर करने के लिए पारंपरिक पौधों पर आधारित सुपरफूड के प्रचार की योजना बनाई है। सुपरफूड में आश्वगंधा, मोरिंगा आदि आते हैं। जिनमें सूक्ष्म पोषक तत्व उच्च मात्रा में पाए जाते हैं। इनमें औषधीय गुण भी होते हैं, जो पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करते हैं। यह पहल राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) का ही हिस्सा है। जिसे बीते साल कैबिनेट की मंजूरी मिली है। एनएनएम का काम शीर्ष निकाय के रूप में पोषण से संबंधित व्यवधानों की निगरानी, पर्यवेक्षण और उनके लक्ष्य निर्धारित कर मार्गदर्शन करना है। इस योजना के तहत व्यापक स्तर पर कुपोषण मुक्त भारत के लिए अभियान भी चलाए जाएंगे।
आयुष मंत्रालय के सेक्रेटरी वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि आयुष मंत्रालय ने पोषक तत्व अवशोषण के सुधार के लिए क्षेत्र के विशिष्ट भोजन के इस्तेमाल की योजना बनाई है। जिसके तहत स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री और मेडिकल प्लांट्स का सहारा लिया जाएगा। इससे प्रतिरक्षा क्षमता में वृद्धि होगी। साथ ही शरीर और दिमाग को फिर से मजबूत करने में भी मदद मिलेगी। जानकारी के मुताबिक सुपरफूड की लिस्ट में आश्वगंधा और मोरिंगा के अलावा आंवला, सौंठ, कच्ची हल्दी, गिलोय को भी शामिल किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना स्थानीय पोषण की जरूरतों को पूरा करने में कारगर सिद्ध होगी। मैक्स हैल्थकेयर की रीजनल हेड डायटीटिक्स रितिका समद्दर का कहना है कि यह एक बहुत बेहतर तरीका है, स्थानीय भोजन को ग्रहण करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना। इससे न केवल पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होंगी बल्कि लागत भी कम आएगी। लंबे समय तक पोषण की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों के आए पैक खाने और फूड सप्लीमेंट्स के सहारे नहीं रहा जा सकता। सरकार इस बात की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए कम्यूनिटी हेल्थ वर्करों की मदद लेगी। कोटेचा ने बताया कि प्रत्येक सामग्री के बारे में जानकारी देने के अलावा यह भी बताया जाएगा कि उसे किस प्रकार संरक्षित करें, कैसे पकाएं और कैसे खाएं। इससे भारत से कुपोषण को तेजी से दूर करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मंत्रालय में अनुकूलित योगा मॉड्यूल पर भी विचार किया है। जिससे पाचन और परिसंचरण में मदद पहुंचेगी। यह मॉड्यूल बच्चों, गर्भवती महिलाओं, वयस्कों, किशोरों और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए होंगे।
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