February 20, 2023
एक कवि की मौत के पैंतालिस साल बाद हुआ उनकी दो पुस्तकों का प्रकाशन और विमोचन
महासमुंद 20 फरवरी (आर.एन. एस.) । किसी कवि की मौत के लगभग पैंतालिस वर्ष बाद उनके दो कविता संग्रहों का विमोचन ,वह भी उनके गृहग्राम में किया जाए तो इसे एक चौंकाने वाली महत्वपूर्ण साहित्यिक घटना के रूप में देखा जाना चाहिए । दिवंगत कवि का लगभग समूचा गाँव इन यादगार पलों का साक्षी बना। छत्तीसगढ़ की साहित्यिक बिरादरी में आज की पीढ़ी के अधिकांश लोगों ने शायद मधु धांधी का नाम भी नहीं सुना होगा ,लेकिन उस दौर के अधिकांश साहित्यकार और साहित्य प्रेमी जानते हैं कि वह हिन्दी और छत्तीसगढ़ी ,दोनों ही भाषाओं के उभरते हुए लोकप्रिय कवि थे ,अपने नाम के अनुरूप वे दोनों ही भाषाओं के सुमधुर गीतकार थे। उनके दो कविता संग्रहों का विमोचन उनके गृहग्राम खुटेरी (तहसील -पिथौरा ,जिला-महासमुंद )में बीती शाम सम्पन्न हुआ। इनमें उनकी 74 हिन्दी कविताओं का संकलन ‘मेरा सागर :तुम्हारी कश्ती ‘और छत्तीसगढ़ी की 19 कविताओं का संकलन ‘मोर सुरता के गाँव ‘ शामिल है। हिन्दी कविता संग्रह वैभव प्रकाशन ,रायपुर द्वारा और छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह श्रृंखला साहित्य मंच ,पिथौरा द्वारा प्रकाशित किया गया । समारोह के मुख्य अतिथि ग्राम -कोचवाही , तहसील- चारामा (जिला -कांकेर )निवासी वरिष्ठ साहित्यकार श्री जी. आर. राना ने इन पुस्तकों का विमोचन किया। समारोह की अध्यक्षता रायपुर से आए वरिष्ठ भाषा विज्ञानी डॉ. चित्तरंजन कर ने की। विमोचन समारोह ‘सुरता :मधु धांधी(स्मृति :मधु धांधी)के नाम से श्रृंखला साहित्य मंच द्वारा आयोजित किया गया ।
उल्लेखनीय है कि मधु धांधी का जन्म 21 जून 1951 को छत्तीसगढ़ के कसडोल विकासखंड के ग्राम पिसीद में और निधन मात्र 26 वर्ष की युवावस्था में 3 अप्रैल 1977 को पिथौरा विकासखंड के अपने गृहग्राम -खुटेरी में हुआ था ,जो पिथौरा से करीब 5 किलोमीटर पर स्थित है। मधु धांधी का
ग्राम पिसीद और खुटेरी गाँव की धूल मिट्टी में पले-बढ़े। उनके पिता समय दास धांधी शिक्षा विभाग में सहायक जिला शाला निरीक्षक थे ,जो सपरिवार खुटेरी में बस गए थे। मधु धांधी
की प्रारंभिक शिक्षा दुर्ग और पिथौरा में हुई तथा बीए पूर्व तक कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने बागबाहरा ,महासमुंद और रायपुर में की। ग्राम खुटेरी में 3 अप्रैल 1977 को उनके निधन के बाद उनके मित्रों और प्रशंसकों ने उनकी याद में पिथौरा में एक साहित्यिक और सांस्कृतिक समिति का गठन किया ,जिसके माध्यम से मधु की 13 हिन्दी और 12 छत्तीसगढ़ी कविताओं का एक मिला जुला संकलन ‘हॄदय का पंछी’, अक्टूबर 1977 में प्रकाशित किया गया। यह उनका पहला कविता संग्रह था।
इसके लगभग 45 वर्ष बाद उनके दो कविता संग्रह पिछले वर्ष 2022 में मुद्रित हुए ,जिनका विमोचन कल 19 फरवरी को उनके गृहग्राम खुटेरी में सम्पन्न हुआ। लेकिन विडम्बना यह कि उनके तीनों संग्रह तब प्रकाशित हुए ,जब वे इस भौतिक संसार से बहुत दूर जा चुके थे। तीनों संकलनों का सम्पादन स्वराज्य करुण ने किया । अफ़सोस यह कि मधु धांधी अपने जीवनकाल में अपनी कविताओं को पुस्तकों के रूप में प्रकाशित नहीं देख पाए। बहरहाल, आज 45 साल बाद उनके इन दोनों संग्रहों का विमोचन जब उनके गृहग्राम में हुआ तो समारोह में वातावरण बेहद भावुक हो उठा था। लगभग सम्पूर्ण खुटेरी गाँव इस कार्यक्रम का साक्षी बना। ग्राम पंचायत परिसर में आयोजित विमोचन समारोह में जोंक नदी के किनारे स्थित ग्राम सांकरा निवासी गायक जवाहर लाल नायक और उनकी सुपुत्री विमला और उनकी टीम ने मधु धांधी के चार छत्तीसगढ़ी
गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी,वहीं डॉ .चित्तरंजन कर ने मधु के दो हिन्दी गीतों को अपने मधुर स्वरों में प्रस्तुत किया। खुटेरी के स्कूली बच्चों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
सरपंच घनश्याम धांधी तथा धांधी परिवार ने और अनेक पंचों तथा ग्रामीणों ने अतिथियों का स्वागत किया ,वहीं सरपंच घनश्याम धांधी ने मुख्य अतिथि और कार्यक्रम अध्यक्ष सहित सभी उपस्थित साहित्यकारों को शॉल ,श्रीफल और महात्मा गांधी के चित्रों से सुसज्जित वर्ष 2023की गांधी डायरी भेंट कर सम्मानित किया। स्वर्गीय मधु के सहपाठी रहे पिथौरा के साहित्यकार शशि कुमार डड़सेना ने दिवंगत कवि से जुड़े अपने छात्र जीवन के संस्मरण सुनाए। कार्यक्रम का आयोजन पिथौरा के श्रृंखला साहित्य मंच द्वारा खुटेरी के ग्रामीणों के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर मंच के अध्यक्ष प्रवीण प्रवाह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन उमेश दीक्षित ने किया। कार्यक्रम में रायपुर की श्रीमती माधुरी कर ,बागबाहरा के जी. डी. मानिकपुरी , पिथौरा के अनूप दीक्षित , शंकर गोयल , बंटी छत्तीसगढ़िया , श्रीमती सरोज साव ,सुश्री गुरप्रीत कौर ,जीतेश्वरी साहू , संतोष गुप्ता , स्वराज्य करुण ,रितेश मोहंती ,ज़ाकिर कुरैशी ,बीजू पटनायक और अनंत सिंह वर्मा सहित कई साहित्यकार ,पत्रकार और प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।