महान लोकतंत्र में हर व्यक्ति को देश-प्रदेश के विकास में योगदान का अवसर : डॉ. रमन सिंह
रायपुर 15 अगस्त(आरएनएस)। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज राजधानी रायपुर में ध्वजारोहण और परेड की सलामी के बाद जनता के नाम अपने संदेश में कहा – महान लोकतंत्र हमें यह अवसर देता है कि प्रत्येक व्यक्ति देश और प्रदेश के विकास में अपना योगदान दे सके। डॉ. सिंह ने पुलिस परेड मैदान में प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रसिद्ध और गुमनाम नायकों तथा राष्ट्र की सुरक्षा और नव निर्माण में अमिट योगदान देने वाले वीरों और विविध प्रतिभाओं को भी याद किया। उन्होंने सादगीपूर्ण ढंग से आयोजित स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय मुख्य समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा-छत्तीसगढ़ विकास की बुलंदियों को छू रहा है। प्रदेश के किसानों, मजदूरों, कामगारों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, युवाओं, व्यवसायियों और हर वर्ग के लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर अथक परिश्रम किया, जिसके फलस्वरूप यह सफलता मिल रही है। छत्तीसगढ़ राज्य वर्ष २०२५ में जब अपनी रजत जयंती मनायेगा, तक यह स्मार्ट और हरित छत्तीसगढ़ तथा सशक्त, समृद्ध और खुशहाल छत्तीसगढ़ होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया जानती है कि जब छत्तीसगढ़ की जनता कोई संकल्प लेती है तो उसे पूरा करने से कोई रोक नहीं सकता। डॉ. सिंह ने कहा-देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाली विभूतियों ने जो सपना देखा था, उसे हम सब मिलकर पूरा कर रहे हैं। अनेक उपलब्धियाँ हासिल करने से नए-नए लक्ष्य तय करने में मदद मिली है। डॉ. सिंह ने पुलिस, विशेष सशस्त्र बल, होमगार्ड के जवानों तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर (एन.सी.सी.), राष्ट्रीय सेवा योजना और भारत स्काउट्स एवं गाईड्स के विद्यार्थियों की संयुक्त परेड की सलामी ली। उन्होंने खुले वाहन में परेड का निरीक्षण और आम जनता का अभिवादन करने के बाद प्रदेशवासियों के नाम अपना संदेश पढ़ा।
मुख्यमंत्री ने अमर शहीदों को नमन किया
मुख्यमंत्री ने जनता के नाम अपने संदेश की शुरूआत करते हुए कहा-सुराजी तिहार के पावन बेरा मा मोर जम्मो संगी-जहुंरिया, सियान-जवान, दाई-बहिनी अउ लइका मन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई। उन्होंने अमर शहीदों का स्मरण करते हुए कहा-स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रसिद्ध और अनाम नायकों, राष्ट्र की सुरक्षा और नवनिर्माण में अमिट योगदान देने वाले वीरों और विविध प्रतिभाओं को मैं सादर स्मरण और नमन करता हूँ। हमारे लिए बहुत गौरव का विषय है कि सघन आदिवासी वन अंचल बस्तर में अमर शहीद गैंदसिंह, वीर गुण्डाधूर तथा मैदानी क्षेत्र में शहीद वीर नारायण सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ में आजादी की चिंगारी सुलगाई थी, जिसे बाद में लाखों लोगों ने मशाल में बदल दिया।
जनता के प्रति जताया आभार
डॉ. सिंह ने कहा-मेरा सौभाग्य है कि स्वाधीनता दिवस पर, प्राणों से प्यारे तिरंगे झण्डे की छांव में खड़े होकर, आप लोगों को पन्द्रहवीं बार सम्बोधित कर रहा हूं। लगातार तीन पारियों तक आपके सेवक के रूप में मुझे काम करने का अवसर मिला। हर दिन के काम-काज में आप सबका मार्गदर्शन और सहयोग मिला, इसके लिए मैं जीवनभर आप सभी का आभारी रहूंगा।
उन्होंने कहा – आज मेरी आंखों के सामने ७ दिसम्बर २००३ का वह दृश्य याद आ रहा है, जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस समय आजादी के ५६ साल बाद भी जनता भूख, भय, भ्रष्टाचार, बीमारियां, बेरोजगारी, दमन, शोषण, आतंक की वजह से त्रस्त थी। गांवों से शहरों तक हताशा ने पैर पसार लिए थे। बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर पूरा गांव पलायन के लिए उमड़ पड़ता था, क्यांेकि गांवों की हालत बेहद खस्ता थी। सिंचाई, खाद, बीज, पानी, कृषि ऋण, बिजली, सड़क, नहर-नाली, स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने किसानों और ग्रामीणों की कमर तोड़ दी थी। लाखों अन्नदाताओं केे माथे पर डिफाल्टर होने का तमगा चिपका दिया गया था, उन्हेें न तो सम्मान की जिंदगी मिल रही थी, न पेट भर अनाज। छत्तीसगढ़वासियों के आत्मसम्मान और अस्मिता पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। विकास की उम्मीद तो दूर की कौड़ी थी, जिंदगी के लाले पड़ गए थे।
अंत्योदय राज्य शासन की योजनाओं का आधार
ऐसी विकट परिस्थितियों में मुझे छत्तीसगढ़ राज्य के जनक श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी मिली थी। जब समस्याओं के पहाड़ के ऊपर खड़े होकर मैंने नजरें दौड़ाई तो घटाटोप अंधेरे में एक आशा की किरण दिखाई पड़ी जो च्अंत्योदयज् की अवधारणा से निकल रही थी। पं. दीनदयाल उपाध्याय के इस सूत्र ने राह दिखाई कि समाज के सबसे अन्तिम व्यक्ति के दुःख-दर्द में भागीदार बनो, उसे राहत पहुंचाओ, उसे हौसला दो, उसका हाथ थामकर आगे बढ़ाओ। इस तरह अंत्योदय हमारी तमाम नीतियों और योजनाओं का आधार बना।
गांव, गरीब और किसान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा-भाइयों और बहनों, तब मैंने कहा था कि च्गांव-गरीब और किसानज् मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता होंगे। मैंने च्सबके साथ-सबका विकासज् का संकल्प लिया था, उसके बाद कभी मुझे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा। मुझे जनता का बेशुमार प्यार मिला, सहयोग मिला, विश्वास मिला और ऐसा रिश्ता बना, जिसे मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी पूंजी मानता हूँ। निरन्तर तीन पारी सेवा का सौभाग्य मिलने की वजह से हमारी सरकार की नीतियों और सुशासन की निरंतरता बनी रही।
अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए सरकार ने खोला खजाना
डॉ. सिंह ने कहा-हमने इस स्थिति को गहराई से देखा कि अधिक लागत और उपज का कम दाम मिलने का चक्रव्यूह तोड़े बिना किसानों का भला नहीं हो सकता। किसान भाई विवश होकर मुझे बताते थे कि महंगा कृषि ऋण लेकर वे दुष्चक्र में फंस चुके हैं और उनके भविष्य के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। ऐसे किसान भाइयों को तात्कालिक लाभ देने के लिए हमने समय-समय पर अल्पकालीन ऋण माफ किया। अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए दिल और सरकार के खजाने खोल दिए। कृषि उपजों की उत्पादकता, उत्पादन, उपार्जन और वितरण प्रणाली की पूरी श्रृंखला में सुधार का महाअभियान चलाया। सिंचाई पम्पों की संख्या ७२ हजार से बढ़ाकर लगभग ५ लाख तक पहुंचा दी, निःशुल्क बिजली दी, धान खरीदी केन्द्रों की संख्या दोगुनी की, पारदर्शी और ऑन लाइन प्रणाली लागू की व तुरंत भुगतान का इंतजाम किया। बिना ब्याज के कृषि ऋण दिया। कई तरह के अनुदान और सब्सिडी दी। पंद्रह वर्षों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और बोनस की राशि मिलाकर किसानों के घर लगभग ७६ हजार करोड़ रूपए पहुंचाए।
धान के समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि
मुख्यमंत्री ने कहा – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष धान का समर्थन मूल्य, एकमुश्त २०० रूपए प्रति क्ंिवटल बढ़ाने का जो अभूतपूर्व निर्णय लिया है, उससे हमारी धानी धरती के किसानी संस्कारों को बढ़ावा मिलेगा। च्प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाज् से जो सुरक्षा कवच दिया गया था, उसके कारण हमारे ५ लाख ६३ हजार किसानों को १ हजार २९५ करोड़ रूपए से अधिक का दावा भुगतान मिला है, जो अपने-आप में एक कीर्तिमान है। वर्ष २०२२ तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य जरूर पूरा होगा।