देवी-देवताओं के आस्था का महाकुंभ है बस्तर दशहरा

जगदलपुर, 08 अक्टूबर (आरएनएस)। बस्तर संभाग मुख्यालय में 75 दिनो तक चलने वाले बस्तर दशहरा में बस्तर संभाग के समस्त ग्रामों के देवी देवताओं को बकायदा तहसीलदार जगदलपुर के द्वारा बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा जाता है। जिसमें 6166 ग्रामीण प्रतिनिधि बस्तर दशहरे की पूजा विधान को संपन्न कराने के लिए विशेष तौर पर शामिल होते हैं। आज पहली फूल रथ परिक्रमा के साथ ही हजारों देवी देवताओं के साथ लाखों ग्रामीण बस्तर दशहरा शामिल होने का सिलसिला शुरू हो जायेगा। पंचमी तिथि को विशेष तौर पर बस्तर के राजपरिवार के द्वारा दंतेवाड़ा स्थित दंतेश्वरी मंदिर में पूजा अनुष्ठान के साथ मावली परघाव पूजा विधान में शामिल होने के लिए मावली माता सहित समस्त देवी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। इसके साथ ही बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में देवी देवताओं के आस्था का महाकुंभ में शामिल होने के लिए बस्तर संभग सहित बस्तर से लगे अन्य प्रदेशों के देवी देवताओं सहित सभी ग्रामों के देवी देवता को लेकर ग्रामीण बस्तर दशहरा में शामिल होते हैं। बस्तर दशहरे पर आमंत्रित देवी-देवताओं की संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि, यह पर्व बस्तर के वनवासी जनजातियों की आस्था का महाकुुंभ हैं। बस्तर राजवंश की कुल देवी दंतेश्वरी के विभिन्न रूप इस पर्व पर नजर आते हैं, राज परिवार की कुलदेवी दंतेश्वरी के बस्तर में स्थापित होने के बाद यहां कई ग्रामों की देवी को दंतेश्वरी के रूप में पूजी जाती है। वहीं दूसरी ओर बस्तर की स्थानीय मूल देवी मावली माता को माना जाता है। यही कारण है कि बस्तर दशहरा का सबसे आकर्षण का केंद्र मावली परघाव पूजा विधान के रूप में हमें देखने को मिलता है। बस्तर दशहरे में दंतेवाड़ा से यहां पहुंचने वाली मावली माता की डोली मणिकेश्वरी के नाम पर दंतेवाड़ा में देखने को मिलती है। क्षेत्र और परगने की विशिष्टता एवं परम्परा के आधार पर मावली माता के एक से अधिक संबोधन देखने-सुनने को मिल जाते हैं। जैसे घाट मावली (जगदलपुर), मुदरा (बेलोद), खांडीमावली (केशरपाल), कुंवारी मावली (हाटगांव) और मोरके मावली (चित्रकोट) है।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »