पुलिस अधीक्षक ने निभाया पालक का फर्ज

0-जेल में सजा काट रहे दंपति के नाबालिक बच्चो को स्वंय लेकर पहॅुचे बालिका गृह
कोरबा, 29 अगस्त (आरएनएस)। पुलिस अधीक्षक कोरबा भोजराम पटेल (भा.पु.से.) के द्वारा जेल में सजा काट रहे बंदी के नाबालिक बच्चो को उचित संरक्षण हेतु बालिका गृह में भेजकर एक बार फिर से संवेदनशील पुलिस अधिकारी होने का परिचय दिया है। बालिका गृह के डायरेक्टर के साथ बालिका गृह का निरीक्षण कर बालिका गृह में रह रही बालिकाओं को शिक्षक बनकर पढ़ाया और सम्मान जनक जीवन जीने के संबंध में नैतिक शिक्षा दी, साथ ही बालिकाओं का कुशलक्षेम पूछकर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का आश्वासन दिया।
पुलिस अधीक्षक कोरबा श्री भोजराम पटेल (भा.पु.से.) को सूचना मिला था कि न्यू रेल्वे कॉलोनी निवासी एक परिवार के माता-पिता को धोखाधड़ी के प्रकरण में 03 वर्ष की सजा हुई है, जो जेल में सजा काट रहे हैं, जिनके पांच नाबालिक बच्चे है । घर में संरक्षक न होने से उनके जीवनयापन एवं संरक्षण का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल द्वारा उपरोक्त सूचना पर अपने मातहतो को भेजकर जानकारी लिया गया, जो पाया गया कि न्यू रेल्वे कॉलोनी निवासी एक परिवार में पति-पत्नि दोनो को 03 वर्ष की सजा हुई है, दंपति के कुल 06 संतान है जिसमें एक लड़का और पांच लड़कियॉ है। सबसे बड़ी लड़की बालिक है जो रायपुर में किसी कंपनी में प्राईवेट जॉब करती है, हॉस्टल में रहती है, उसके पास सभी बच्चों को अपने साथ रखने की सुविधा नही है। इनका भाई करीब 17 वर्ष का है जो अपने मौसा जी के साथ रहना चाहता है, किन्तु शेष 04 नाबालिक बच्चियों के उचित संरक्षण एवं देखभाल की व्यवस्था नही है। पुलिस अधीक्षक द्वारा मामलें में विशेष रूचि लेते हुए सभी नाबालिक बालिकाओं को बाल कल्याण समिति कोरबा के समक्ष प्रस्तुत कराकर बालिका गृह कोरबा में रहने का प्रबंध कराया गया एवं नाबालिक बालिकाओं को स्वंय साथ लेकर बालिका गृह कोरबा पहॅुचे। बालिका गृह कोरबा की डायरेक्टर श्रीमति रूकमणी नायर को बालिकाओं के उचित देख रेख एवं सरंक्षण के निर्देश दिए।
पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने बालिका गृह की डायरेक्टर श्रीमति रूकमणी नायर के साथ बालिका गृह का निरीक्षण कर वहॉ निवासरत् सभी बालिकाओं से मिलकर उनका हाल-चाल जाना । बालिकाओं के शिक्षा एवं वहॉ रहने के प्रबंध के संबंध में विस्तृत जानकारी ली गई। श्री भोजराम पटेल द्वारा बालिकाओं को स्वंय पढ़ाया गया, महापुरूषों की जीवनी बताकर उनके नक्शे कदम पर चलकर आत्मनिर्भर बनकर सम्मान पूर्वक जीवन जीने के टिप्स दिये गये, साथ ही नैतिकता का पाठ पढाया। बालिकाओं से उनकी आवश्यकताओं के बारे में पूछे जाने पर कुछ बालिकाओं ने स्पोट्र्स किट, स्पोट्र्स शू की मांग की, एक बालिका ने सिलाई मशीन की मांग की, बालिका गृह की डायरेक्टर द्वारा लाईट बंद होने की स्थिति में अंधेरा होने के बारे में बताकर एक इनवर्टर की आवश्यकता होना बताया, जिसे पुलिस अधीक्षक द्वारा अतिशीघ्र उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया।

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