दबे मगर पूरी तरह नहीं झुके नीतीश
0- नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार
0- अपने फार्मूले पर नीतीश को पूरी तरह राजी नहीं कर पाई भाजपा
0- जदयू को मोदी कैबिनेट में भी मिलेंगे दो पद
0- दागी मेवालाल विवाद के बाद अब एक और दागी जमा खान को मंत्री बनाने पर विवाद
नई दिल्ली ,09 फरवरी (आरएनएस)। मंत्रिमंडल में संख्या बल की दृष्टिï से भले ही भाजपा बिहार में बड़े भाई की भूमिका में आ गई है, मगर पार्टी सीएम नीतीश कुमार को अपने फार्मूले पर पूरी तरह से राजी नहीं कर पाई। मंत्रिमंडल में अब भाजपा के मंत्रियों की संख्या जदयू से दो ज्यादा है। हालांकि इस क्रम में जदयू को मोदी कैबिनेट में एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद दिए जाने का भी आश्वासन मिला है।
गौरतलब है कि भाजपा मंत्रिमंडल में सीटों की संख्या के आधार पर आनुपातिक बंटवारा चाहती थी। भाजपा का फार्मूला था कि सीटों की संख्या के आधार पर मंत्रिमंडल में उसे 64 फीसदी और जदयू को 36 फीसदी जगह मिले। नीतीश 50-50 फार्मूले पर अडिग थे। इसी जद्दोजहद में मंत्रिमंडल विस्तार में करीब दो महीने की देरी हुई। अब सरकार में जदयू के पास सीएम समेत 14 पद हैं जबकि भाजपा कोटे के 16 मंत्री हैं। यह अनुपात क्रमश: 45 फीसदी और 51 फीसदी बैठता है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 74 तो जदयू को 43 सीटें हासिल हुई थी।
विभाग बंटवारे पर नजर
चुनाव जीतने के बाद नीतीश ने 14 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी। इनमें जदयू के पांच और भाजपा के सात, हम और वीआईपी के एक-एक मंत्री शामिल थे। तब विभाग बंटवारे में नीतीश ने पहले की तरह अहम मंत्रालय अपने पास रखे थे। अब पहले विस्तार के बाद विभागों के बंटवारे पर सबकी निगाहें टिकी हैं। विस्तार में नीतीश सरकार में मुसलमान प्रतिनिधित्व का सूखा खत्म हुआ है। भाजपा की ओर से शाहनवाज हुसैन और बसपा से जदयू में शामिल हुए जमा खान को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। जमा खान पर दो दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
समझौते में मोदी कैबिनेट भी शामिल
मंत्रिमंडल विस्तार पर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार को भी शामिल किया गया। जदयू सूत्रों का कहना है कि संभवत: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद होने वाले विस्तार में पार्टी को एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद देने पर सहमति बनी है।
फिर निशाने पर आ सकते हैं नीतीश
सरकार गठन के तत्काल बाद दागी मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाने के मामले मेंं विवादों में घिरे नीतीश अब विस्तार के बाद नए सिरे से हमले का सामना कर सकते हैं। गौरतलब है कि बसपा से जदयू में आए जमा खान को मंत्री बनाने पर विवाद शुरू हो गया है। खान पर हत्या की कोशिश, हिंसा भडक़ाने और आम्र्स एक्ट जैसे दो दर्जन संगीन मामले दर्ज हैं। गौरतलब है कि मेवा लाल मामले में विवाद होने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
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