केंद्र सरकार में अर्थव्यवस्था की बुनियादी समझ का अभाव: कांग्रेस

नई दिल्ली,20 नवंबर (आरएनएस)। कांग्रेस ने केंद्र सरकार के अधीन आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि पर रोक लगाने संबंधी खबर को लेकर शुक्रवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस सरकार में अर्थव्यवस्था की बुनियादी समझ का अभाव है।
कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह दावा भी किया कि सरकार के ‘कुप्रबंधनÓ के कारण समाज का हर वर्ग पहले से ही परेशानी का सामना कर रहा है और अब सरकारी कर्मचारियों को दुर्दशा में धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि 19 नवंबर को सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में होने वाली वृद्धि पर 30 जून, 2021 तक रोक लगा दी। इससे 339 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के 14.5 लाख से अधिक कर्मचारी प्रभावित होंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसी मोदी सरकार ने अप्रैल में हमारे सैनिकों समेत 11.3 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते, महंगाई राहत व सभी पुरानी और भविष्य की किस्तों में कटौती की थी। सुप्रीया ने कहा कि तेजी से बढ़ती महंगाई ने मुश्किलें और भी बढ़ा दी हैं। अक्तूबर माह में महंगाई दर में 7.61 फीसदी की वृद्धि, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों में 11.6 फीसदी की वृद्धि गहन चिंता का कारण है।
अर्थव्यवस्था की खराब हालत नियंत्रण से बाहर
उन्होंने दावा किया, अर्थव्यवस्था की खराब हालत नियंत्रण से बाहर हो रही है और समाज का हर वर्ग परेशानी में है। दिक्कतें सिर्फ असंगठित क्षेत्र में ही नहीं है, बल्कि यहां तक कि सरकारी कर्मचारी भी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा भुगत रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह उन लोगों की स्थिति है जिनकी आय सुनिश्चित है, जो उन कंपनियों में कार्यरत हैं, जहां कोई परेशानियां नहीं हैं। अनौपचारिक क्षेत्र जहां हमारे श्रम बल के 90 फीसदी लोग काम करते हैं, वहां की दुर्दशा तो कल्पना से भी परे है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार में अर्थव्यवस्था की बुनियादी समझ की कमी है। सुप्रिया ने कहा कि यह मानने से आखिर क्यों सरकार इनकार करती है कि मांग नष्ट हो गई है और भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए पहला कदम खपत को बढ़ावा देना है। क्या सरकार यह नहीं समझती है कि मध्यम वर्ग के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आय को कम करना केवल अनैतिक ही नहीं है, बल्कि मांग और उपभोग को भी कम करता है।
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