हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने भी खारिज की वकील अशोक अरोड़ा की याचिका

नईदिल्ली,18 नवंबर (आरएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने वकील अशोक अरोड़ा की सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव पद से निलंबित करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
इसके पहले जस्टिस मुक्ता गुप्ता की सिंगल बेंच ने अशोक अरोड़ा की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अशोक अरोड़ा ने डिवीजन बेंच में याचिका दायर किया था। अशोक अरोड़ा ने कहा था कि वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल 10 दिसम्बर को खत्म हो रहा है। अरोड़ा ने कहा था कि नियम 35 के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का जनरल हाउस ही उन्हें निलंबित कर सकता है और वह भी दुर्व्यवहार की शिकायत की जांच के बाद ही। उन्होंने कहा था कि उनका निलंबन नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से वकील अरविंद निगम ने कहा था कि नियम 35 केवल किसी सदस्य के निष्कासन से जुड़ा है, इसलिए इस नियम की दलील नहीं दी जा सकती है। निगम ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की एक्जीक्युटिव कमेटी की बैठक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के नियम 14 के मुताबिक हुआ था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के निर्वाचित पदों से किसी को निकालने की पहले भी परंपरा रही है। उन्होंने कहा था कि नैसर्गिक न्याय के सभी सिद्धांतों को पालन किया गया। जब अरोड़ा को निकाला गया तो दवे ने बातचीत में हिस्सा नहीं लिया और अरोड़ा को अपना पक्ष रखने का मौका मिला था। यहां तक कि अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी उसे बिना शर्त वापस भी ले लिया था।
अशोक अरोड़ा ने याचिका में कहा था कि एससीबीए की कार्यकारी समिति ने पिछले 8 मई को सचिव पद से निलंबित कर दिया था। कार्यकारी समिति ने एससीबीए के सहायक सचिव रोहित पांडे को सचिव की जिम्मेदारियों को संभालने संबंधी प्रस्ताव पारित किया था। एससीबीए ने ये फैसला अशोक अरोड़ा की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे को एससीबीए अध्यक्ष पद से हटाने और उनकी प्राथमिक सदस्यता समाप्त करने के लिए एक असाधारण बैठक बुलाई थी।
अशोक अरोड़ा ने आरोप लगाया था कि दुष्यंत दवे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एससीबीए के दफ्तर का उपयोग कर रहे हें। हालांकि अशोक अरोड़ा की ओर से बुलाई गई असाधारण बैठक रद्द कर दी गई थी। एससीबीए ने 7 जून के अशोक अरोड़ा को नोटिस जारी कर पूछा था कि कथित रूप से आरोप लगाने के लिए उनके खिलाफ तीन सदस्यीय समिति की एकतरफा जांच क्यों न शुरू की जाए।
एससीबीए की कार्यकारी समिति ने अशोक अरोड़ा पर आरोप लगाया था कि समिति में शत्रुता का वातावरण पैदा करने, समिति के सामंजस्यपूर्ण कामकाज में बाधा पहुंचाना, एससीबीए के अधिकारियों के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग, एससीबीए के कोषाध्यक्ष को धमकाने, गैरकानूनी तरीके से एससीबीए की कार्यकारी समिति की बैठक बुलाना और बैठकों के मिनट्स तैयार नहीं करना शामिल है। एससीबीए ने आरोप लगाया था कि अरोड़ा ने कार्यकारी समिति की 18 दिसम्बर, 2019 को हुई पहली बैठक से ही विरोधी और बाधा खड़ी करने का रुख अपना रहे हैं। एक बैठक में वह एससीबीए के अध्यक्ष पर चिल्लाये भी थे। उन्होंने एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे को निर्लज्ज प्राणी कहा था और उनके ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था।
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