गर्भपात परिवार नियोजन का कोई साधन नहीं’

 

लखनऊ 30,october (Rns) । एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार भारत में हर साल 15 से 49 वर्ष की तकरीबन 15 करोड़ महिलायें अलग-अलग परिस्थितियों के चलते गर्भपात कराती हैं। उसमें भी पांच से सात फीसद गर्भपात अप्रशिक्षित लोगों द्वारा असुरक्षित तरीकों से किया जाता है जिसके कारण महिलाओं को आगामी दिनों में विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही नहीं इससे मातृ मृत्यु दर में भी वृद्धि होती है। ये बातें शुक्रवार को फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन आॅफ इंडिया लखनऊ द्वारा राजधानी के एक होटल में आयोजित यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार तथा सुरक्षित गर्भ समापन के महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित मीडिया मीट में उपस्थित विशेषज्ञों ने कही। आयोजन में विनायक ग्रामोद्योग संस्था व उनके प्रमुख शैलेंद्र श्रीवास्तव व उनके सहयोगियों की भी सहभागिता रही। उपरोक्त विषय पर अपनी राय रखते हुए डॉ ऋचा जोकी मुंबई से वर्चुअल माध्यम से जुड़ी थीं ने बताया कि गर्भपात परिवार नियोजन का कोई साधन नहीं है। इसलिये यह बहुत जरूरी है कि सभी को परिवार नियोजन की उचित जानकारी, साधन और सेवायें समय से उपलब्ध हों। उन्होंने बताया कि इसके लिए एसोसिएशन आॅफ इंडिया समुदायिक स्तर पर किशोर- किशोरियों और युवाओं के लिए सरकार के साथ मिलकर यौन एवं प्रजनन स्वस्थ्य सम्बंधित जानकारी, परामर्श, सेवायें जागरूकता के कार्यक्रम कर रही है। साथ ही यह भी चर्चा की गई चूंकि लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में समाज में तमाम वर्ग के लोगों का कामकाज छूट गया और वो मजबूरी में घरों पर ही निवास कर रहे हैं, ऐसे में परिवार नियोजन पर कैसे और किस प्रकार फोकस किया जाये। अन्य प्रमुख वक्ताओं में डॉ अलका जैन, अम्रुता घाणेकर, कमाल रिजवी आदि स्वास्थ्य प्रतिनिधि शामिल रहें।

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