कलेक्टर निजी स्कूलों की मनमानी रोकने बरतें कड़ाई : विकास उपाध्याय

 

0-लॉकडाउन में निजी स्कूलों की भूमिका को लेकर संसदीय सचिव स्वयं करेंगे पड़ताल
0-जिला शिक्षा अधिकारी कोरोना काल के शैक्षणिक गतिविधियों की जांच न कर लें निजी स्कूलों को किसी तरह की फीस लेने प्रतिबंधित किया जाए
रायपुर, 10 सितंबर (आरएनएस)। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने निजी स्कूल संचालकों द्वारा पालकों के नो स्कूल नो पेमेंट को लेकर लगातार विरोध के बावजूद मेरी मुर्गी एक टांग का रवैया अपनाए जाने को गंभीरता से लिया है और कहा हैए जिला शिक्षा अधिकारी इन निजी स्कूलों का निरीक्षण कर इस बात की जानकारी लें कि शासन के मापदंडों के अनुरूप संचालित हैं कि नहीं साथ ही इस बात की भी फड़ताल करें कि सम्पूर्ण लॉकडाउन के बीच इन स्कूलों की विद्यार्थियों के प्रति क्या जवाबदेही रही है और विस्तृत रिपोर्ट शासन के सम्मुख प्रस्तुत करें और तब तक निजी स्कूल किसी विद्यार्थी को ऑनलाईन क्लास से वंचित करता है तो उसकी मान्यता तत्काल निरस्त करे।
विकास उपाध्याय ने निजी स्कूल प्रबंधकों के अडिय़ल रवैया को शासन विरोधी करार दिया है और कहा हैए जिला शिक्षा अधिकारी निजी स्कूलों को लेकर शख्ती दिखायें अन्यथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा निजी स्कूल प्रबंधक दादागिरी पर उतर आए हैं और ऐसा ही वे अपने स्कूल स्टाप पर भी करते रहे हैं।स्कूलों में शिक्षकए लाइब्रेरीए भवनए स्टॉफ रूमए खेल मैदानए शौचालय और खासकर विषयवार अलग.अलग लैब और शिक्षक हैं या नहींए इसकी जांच करने के बाद ही संबद्धता देने का प्रावधान हैएपरंतु इस प्रावधान का टीम के समक्ष डेमो दिखा कर ये निजी स्कूल प्रबंधक मान्यता ले कर शासन के आँख में धूल झोंकने का काम करते रहे हैं।
विकास उपाध्याय ने कहा बड़े बड़े निजी स्कूलों के प्रबंधक दिखावे के लिए बड़ी बड़ी बिल्डिंग बना कर पलकों को आकर्षित तो कर लेते हैंएपर आंतरिक मापदण्ड के नाम पर कुछ नहीं रहता। इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक ही निर्धारित अर्हता नहीं रखते और जो रखते हैं उन्हें आवश्यक वेतन नहीं दिया जाता। इन स्कूलों में बच्चों को शुध्द पेय जल की व्यवस्था तक नहीं रहता और जब इसको लेकर आवाज उठाई जाती है तो बच्चों को ही प्रताडि़त किया जाता है। विकास उपाध्याय ने जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा है वे सबसे पहले निजी स्कूलों का आंतरिक मूल्यांकन करने उच्चस्तरीय टीम गठित करें और इस टीम में एक जनप्रतिनिधि को भी सम्मिलित करेंए जो इस बात का पता लगाएगी की इन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कितनी हैए एक क्लास में कितने शेक्शन बनाये गए हैं और एक शेक्शन में कितने बच्चे पढ़ते हैंए शेक्शन के अनुरूप कितने शिक्षक हैंए शिक्षक हैं तो वो नियमित हैं कि नहींए उनके शैक्षणिक योग्यता क्या है। इन शिक्षकों को मासिक वेतन क्या दिया जाता है। मार्च माह से लेकर जून तक प्रत्येक शिक्षकों की विषयवार शैक्षणिक गतिविधियों में क्या भूमिका थी। इसके अलावे अन्य आवश्यक मापदंड की यथा स्थिति क्या है। स्कूल के प्राचार्य या प्रधानपाठक की क्या योग्यता हैए इनका वेतनमान से लेकर विद्यार्थियों के प्रति इनके व्यवहार को लेकर गोपनीय चरित्रावली को लेकर भी रिपोर्ट तैयार की जाए। विकास उपाध्याय ने कहा शासन स्तर पर जब तक जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रत्येक निजी स्कूलों को पृथक.पृथक से इन तमाम जाँच बिंदुओं पर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता उनको किसी तरह की फीस लेने से रोक लगाने नोटिस भेजा जाए। विकास उपाध्याय ने रायपुर कलेक्टर को भी इस बाबत कड़ाई से कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।
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