राजिम कुंभ ने बनाई देश में अपनी पहचान-असंग साहेब
रजिम, 07 फरवरी (आरएनएस)। त्रिवेणी संगम के तट पर कबीर पंथ के राष्ट्रीय संत असंग साहेब का आध्यात्मिक प्रवचन 7 फरवरी से प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर संत जी ने कहा कि भगवान श्री राजीवलोचन की भूमि में छत्तीसगढ़ शासन के अद्भुत प्रयास से प्रतिवर्ष यहां राजिम कुंभ मेला का आयोजन हो रहा है। यह कुंभ पूरे भारत देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह राम की जन्मभूमि है, तीर्थ नगरी राजिम कुंभ में लोग बड़ी धूमधाम से इस आयोजन का लाभ ले रहे है। कोई कथा सुन रहा है कोई प्रवचन सुन रहा है। राजिम कुंभ तीन नदियों सोढऱ, पैरी व महानदी के बीच में बसा है वैसे ही श्री राजीवलोचन, श्री कुलेश्वर महादेव एवं श्री लोमश ऋषि आश्रम के मिलन के साथ ही साधु संत, पंथों एवं भक्तों का संगम है। लाखों लोग राजीवलोचन का दर्शन कर रहे है। यह राजिम कुंभ प्रतिवर्ष हो रहा है और हर वर्ष विशेष की ओर अग्रसर है। मैं धन्यवाद देता हूं प्रदेष के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, सचिव सोनमणी बोरा, छत्तीसगढ़ शासन को, राजीवलोचन कमेटी को, ओएसडी गिरीश बिस्सा जी को जिन्होंने मुझे यहां आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि इस सत्संग को सुनने सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि जम्मु कश्मीर, हिमाचल प्रदेष, उत्तरप्रदेष, मध्यप्रदेष, हरियाण जैसे अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु आए हुए है। संतजी ने सत्संग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि कबीर की गहराई को समझना और उसकी ऊंचाई को छूना बड़ा ही आसान है, जैसे अच्छे कार्य करने पर आपकी मुख में प्रसन्नता रहती है, शरीर स्वस्थ रहता है, वैसे ही बुरे कार्य करने पर मुख में भय मन में अशांति रहती है।