लॉकडाउन के कारण देश में बच्चों के खिलाफ अपराध घटे: आयोग
नई दिल्ली,24 अगस्त (आरएनएस)। लॉकडाउन के दौरान देशभर में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बताया कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए।
प्रियांक से जब पूछा गया कि क्या लॉकडाउन के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं उन्होंने कहा, बिलकुल नहीं। उन्होंने कहा, हालांकि, हमने अधिकारियों को कुछ रिपोर्ट्स की सूचना दी है जिसमें दावा किया गया कि इस अवधि के दौरान इसमें वृद्धि हुई है। महामारी के कारण पढ़ाई छोडऩे वाले स्कूली बच्चों की संख्या बढऩे की चिंताओं पर उन्होंने कहा, स्कूलों के दोबारा खुलने से पहले इस तरह की आशंका सही नहीं है। उन्होंने कहा, बच्चों के विवेक को चुनौती देना अनुचित होगा। बच्चे स्कूल जाकर अपने राष्ट्रीय कर्तव्य को पूरा करते हैं। बच्चे, यहां तक कि कठिन परिस्थितियों में भी स्कूल जाते हैं, इसलिए हमें उनके प्रति नकारात्मक विचार नहीं रखना चाहिए। कानूनगो ने कहा कि एनसीपीसीआर ने राज्यों से बच्चों के लिए आश्रयों को सुनिश्चित करने के लिए कहा है जब मार्च में देश में श्रमिकों का पलायन शुरू हुआ था। इसके अलावा उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा के बारे में आईं शिकायतों का भी निवारण करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, बच्चों को राशन और दूध की आपूर्ति की गई है और हमने यह सुनिश्चित किया कि बच्चों के अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित न हों।
बच्चों की तस्करी पर आयोग गंभीर
लॉकडाउन के दौरान बच्चों की तस्करी के मामलों पर कानूनगो ने कहा, आयोग इस मुद्दे पर गंभीर है। हम इसे बच्चों के बजाय अब परिवार के दृष्टिकोण से देख रहे हैं और इसे रोकने के लिए यथोचित कदम उठाए जा रहे हैं। सभी राज्य सरकारों से भी इस मुद्दे पर बात की गई है। एक बात स्पष्ट है बाल तस्करी के पीछे गरीबी एक बड़ा कारण है। इस लिए हमें इसके शुुरुआत बिंदु पर बचाव कार्य करना होगा तभी बाल तस्करी रोकी जा सकती है।
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