कोरोना संकट के बावजूद जमकर बरसा हरा सोना

लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 58 प्रतिशत तेंदूपत्ते का संग्रहण
संग्राहकों को 389 करोड़ रुपए की आय
रायपुर ,04 जुलाई (आरएनएस)। कोरोना संकट ने भले ही देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया हो, लेकिन इसी दौरान छत्तीसगढ़ के जंगलों में हरे सोने की जमकर बारिश हुई। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में तेंदूपत्ता का संग्रहण पूरी रफ्तार के साथ हो रहा है। चालू सीजन में 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण के लक्ष्य के विरुद्ध 9 लाख 72 हजार 697 मानक बोरा का संग्रहण किया जा चुका है, जो कुल लक्ष्य का 58 प्रतिशत है। इससे संग्राहकों को 389 करोड़ रुपए की आय हुई है।
कोरोना संकट शुरु होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशन में राज्य शासन द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि लॉकडाउन के दौरान कृषि और वन आधारित आर्थिक गतिविधियां चलती रहें। नये सीजन में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में उत्पन्न नयी चुनौतियों का आंकलन कर रणनीति तैयार की गई। तेंदूपत्ता के संग्रहण से लेकर भंडारण तक कार्य पूरी तरह स्थानीय श्रमिकों से कराया गया। इससे बीते सीजनों की तुलना में, इस सीजन में स्थानीय लोगों को रोजागर के अधिक अवसर मिले। कृषि क्षेत्र की तरह, वन क्षेत्रों में भी सभी तरह की आर्थिक गतिविधियां पूरे एहतियात के साथ संचालित की गईं। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता भी शामिल रही। राज्य शासन द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण दर में इजाफा करते हुए 4000 रुपए प्रति मानक बोरा कर दिए जाने से संग्रहकों ने इस सीजन में खासे उत्साह के साथ तेंदूपत्ता का संग्रहण किया। लॉकडाउन समाप्त होने, और अनलॉक की शुरुआत होने के साथ ही, संग्रहण कार्य में और तेजी आ गई है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के तेंदूपत्ते की गुणवत्ता देश में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
शासन ने सभी तेंदूपत्ता श्रमिकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, जिन अंदरुनी क्षेत्रों में बैंकों के माध्यम से राशि के अंतरण में असुविधा हो रही हो, वहां श्रमिकों को नकद भुगतान करने को कहा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक जिला यूनियन बीजापुर में 81 हजार 998 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया है। इसी प्रकार सुकमा में 41 हजार 83 मानक बोरा, दंतेवाड़ा में 3 हजार 611 मानक बोरा तथा जगदलपुर में 11 हजार 819 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। दक्षिण कोण्डागांव में 11 हजार 485 मानक बोरा, केशकाल में 16 हजार 654 मानक बोरा, नारायणपुर में 12 हजार 664 मानक बोरा, पूर्व भानुप्रतापपुर में 82 हजार 126 मानक बोरा, पश्चिम भानुप्रतापपुर में 67 हजार 743 मानक बोरा तथा कांकेर में 28 हजार 643 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है।
इसी तरह जिला यूनियन राजनांदगांव में 59 हजार 590 मानक बोरा, खैरागढ़ में 28 हजार 409 मानक बोरा, बालोद में 16 हजार 298 मानक बोरा तथा कवर्धा में 20 हजार 292 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। धमतरी में 19 हजार 13 मानक बोरा, गरियाबंद में 58 हजार 428 मानक बोरा, महासमुंद में 51 हजार 856 मानक बोरा, बलौदाबाजार में 13 हजार 641 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है। जिला यूनियन बिलासपुर में 14 हजार 20 मानक बोरा, मरवाही में 11 हजार 526 मानक बोरा, जांजगीर-चांपा में 3 हजार 445 मानक बोरा, रायगढ़ में 26 हजार 986 मानक बोरा, धरमजयगढ़ में 54 हजार 284 मानक बोरा, कोरबा में 33 हजार 459 मानक बोरा तथा कटघोरा में 36 हजार 424 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। इसके अलावा जशपुरनगर में 15 हजार 350 मानक बोरा, मनेन्द्रगढ़ में 25 हजार 324 मानक बोरा, कोरिया में 21 हजार 145 मानक बोरा, सरगुजा में 19 हजार 79 मानक बोरा, बलरामपुर में 49 हजार 892 तथा सूरजपुर में 36 हजार 395 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।
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