पीएम के लिए चीन का आघात महत्वपूर्ण नहीं : सिंघवी

नई दिल्ली ,28 जून (आरएनएस)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने स्वास्थ्य के संबंध में पत्रकारों को बताया कि वे 8 दिनों से पृथकवास में हैं। अभी तक ऐसा कोई गंभीर सिम्टम नहीं है, अगले हफ्ते, कल क्या होगा, कोई जानता नहीं है, आगे आने वाले कल का, लेकिन शो मस्ट गो ऑन, हां, ये बात जरुर ध्यान आती है कि अच्छी मैडिकल सहायता है, पूरी सुरक्षा है, सामर्थ्य है, जिन लोगों के पास ये नहीं है, उनका ध्यान आता है और दुख भी होता है। फिर भी जिस प्रकार का मिथ्या प्रचार किया जा रहा है, वह निंदनीय है।
उन्होंने पीएम केयर फंड और उसके चीनी कनेक्शन पर कहा कि इनके लिए चीन का आघात महत्वपूर्ण नहीं है। कितना एरिया, वर्गफल अंदर आया, ये महत्वपूर्ण नहीं है। कितने पोस्ट लिए, ये महत्वपूर्ण नहीं है। कितने प्वाइंट ग्रहण किए, ये महत्वपूर्ण नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा एक शब्द में महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण क्या है दो चीजें, एक है , जो ये बोल दिया, वही ब्रह्म वाक्य है। मैं सही हूं, मैं गलती नहीं कर सकता, ये एक व्यक्ति का हस्ताक्षर है, इस देश में, हम सब उस व्यक्ति को जानते हैं और दूसरा महत्वपूर्ण है कि इतने बड़े राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे के सामने राजीव गांधी फाउंडेशन।
पहले पीएम केयर की बात करते हैं। अगर आप ध्यान दें कि इस सरकार ने बार-बार ये मुद्दा अवोयड क्यों किया? क्या किसी को संदेह है, विश्वभर में, कोई देश को, हमारे मित्र देश को, हमारे जो ना मित्र हैं, उनको कि चीनी फौज गलवान वैली में, पैंगोंग सो लेक में, हाट स्प्रिंग में, डेप्संग प्लेन में, वाई जंक्शन; अब मैं डिटेल में नहीं जाऊंगा, वहाँ रोड है, आपको मालूम है वो सब, इसमें वो आ गए हैं। मैंने जैसा कहा कि पिछले हफ्ते भर के डॉयरेक्ट डेटा के बाद कोई जवाब नहीं मिला। आपको जो जवाब मिला है, उसका कोई प्रधानमंत्री द्वारा स्पष्ट खंडन नहीं मिला कि चीन ने हमारा कोई भी इलाका हासिल नहीं किया। अब चीन के साथ जो पिछले कुछ वर्षों से हमारी आपा धापि चल रही, उसकी कुछ तारीखें आप नोट करें। फिर हम आएंगे कि क्यों पीएम केयर फंड फाउंडेशन का मुद्दा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर आप मोदी सरकार के तुरंत पहले से लीजिए, 2013 से, डेप्संग प्लेन और वाई जंक्शन में, चीन ने तब भी यही प्रयत्न किया था। न्यूनतम सफलता के साथ यही किया था, लेकिन जो आपको नहीं बताया जाता है कि उस वक्त 2013 में, उसी जगह पर, जहाँ वापस आपा धापि हो रही है, उनको हटाया गया, पुश बैक किया गया। उसके बाद जब झुला और महाबलीपुरम हो रहा था, तो आपको याद है चुमार हुआ, लद्दाख में, 2014 में जब झुला चल रहा था। 2017 में डोकलाम था तो ये निरंतरता, ये श्रृंखला याद रखना जरुरी है। ज्यादातर इसके 4 क्षेत्र हैं- गलवान, पैंगोंग सो लेक, हॉट स्प्रिंग एंड डेप्संग। 2013 के बाद अब ये सब जो चल रहा है और मैं सिर्फ बात कर रहा हूं 2014, 15, 16, 17, 18, 2019 और आज तक। सिंघवी के अनुसार इस संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न ये उठता है कि आपने कोविड के नाम पर नया फाउंडेशन ट्रस्ट बनाया। अब ये सर्वविदित है कि ये नया है, ये ऑफिशियल सीएजी द्वारा ऑडिट नहीं होता है। ये पीएम केयर ऑफिस ने खुद ने दलील लिया है। ऑर्डर लिया है कि ये आरटीआई में कवर्ड नहीं है। उनके कहने पर, उनकी दलील पर निर्णय आ गया है। किसी प्रकार की पारदर्शिता, नियंत्रण, ऑडिट, जवाबदेही ये नई चीज के लिए नहीं है। सत्तारुढ़ सरकार का ये फंड है। अब इस फंड में, इस संदर्भ में कोविड़ के नाम पर आपने 9,678 करोड़ समझ लीजिए 10,000 से 250 करोड़ कम, 300 करोड़ कम फंड लिया है कहाँ से, वो नमकीन चीनी से, मीठी वाली चीनी नहीं, नमकीन चीनी देश से। चाईनीज मनी 2013 के बाद जो एरिया और आपको जो तारीखें बताई, झूला डिपलोमेसी बताई, महाबलीपुरम बताया, 9 विजिट और 18 बैठकें बताई, उसके दौरान आपने 10 हजार करोड़ रीसिव किया; मुझे अद्भुत लगता है और जवाबदेह है राजीव गांधी फाउंडेशन। 20 लाख रुपए ले लिए राजीव गांधी फाउंडेशन ने, इतना जबरदस्त फीगर, 9,600 करोड़ सिर्फ एक फंड में और वो फंड कितना पुराना फंड है। कोविड कब हुआ था, ये तो अभी जन्म लिया है, अभी शिशु है। उसमें अभी अगर 10 हजार करोड़ है, हम आपको ये नहीं बताते तो इसका 6 महीने बाद का क्या फीगर होता, आप देख लें।
इसका जरा और आंकलन करें, इस आंकड़े का, 7 करोड़ है एक कंपनी हुवावे। आज देश की हालत ये है कि स्कूल का, केन्द्रीय विद्यालय का बच्चा वो भी जानता है। अगर केजी क्लास से क्लास 1 के किसी शिशु से पूछे तो वो भी बता देगा कि वेल कनेक्टेड चीन की कंपनी है क्या। ये चीज सरकार के आगे है, ये पीपुल लैबोरेशन आर्मी, जो ये डिक्टेटेरशिप की आर्मी है, उससे संबंधित है। ये सर्वविदित है, 7 करोड़ वहाँ से आए हैं। आप देश को कितने लेक्चर देते हैं, संदेश देते हैं, उपदेश देते हैं कि हम इसको सैनेटाइज करेंगे, हमारे जो कानून मंत्री, आईटी मंत्री कहते हैं कि हम इसे ऐसे कंट्रोल करेंगे कि इसको सुरक्षा नहीं देंगे, सर्विलेंस नहीं होगी, उसी कंपनी का आप 7 करोड ले रहे हैं पीएम केयर में। चीनी कंपनी टिक टॉक ने 30 करोड़ दिए। पेटीएम, जिसके बारे में भी बीच में आपने काफी होहल्ला किया था, बल्कि एक वक्त तो प्रमोट भी बहुत किया था, प्रमोशन तो कम हो गया, लेकिन ये चीज होने लगी। 100 करोड़ आपने इससे लिए हैं। इस कम्पनी का 38 प्रतिशत चाईनीज ऑनरशिप में है, जबकि कंपनी का कंट्रोल 10-12 प्रतिशत से होता है, 26 प्रतिशत से टोटल हो जाता है। 38 प्रतिशत शेयर होल्डिंग इस कंपनी में चीन की है। 7 करोड़, 30 करोड़, 100 करोड़, तीन नाम दिए मैंने आपको।
चौथा है- जियोमी, नाम से जाहिर है की चीनी कंपनी है, 15 करोड़। ये कमेटेड़ है या दे दिया गया, पता नहीं लेकिन ये है पक्की बात। ओपो के बारे में हम प्रश्न पूछते हैं, हमारे सूत्र बताते हैं कि 1 करोड़ मिला है। मैं एक्यूरेट बोल रहा हूं जिससे कोई कुछ नहीं कह सकता कि शायद 1 करोड़ वहाँ से लिया है। अब रुपया तो एक तो इसके आने की दिशा और गति, कहाँ से आ रहा है, ये बहुत अद्भुत और अजरज की बात है। दूसरा कहाँ जा रहा है, ये उतनी ही अद्भुत और अजरज की बात है। क्योंकि ना जवाबदेही और ऑडिट है, ना आने वाला का है, ना लेने वाले का है, ना जाने वाला का है और ये सब आपकी नाक के नीचे हो रहा है। जब हर दिन हम पिछले 2 महीने से और 2014 से हर साल इस शब्द से वाकिफ हो गए हैं, बच्चा-बच्चा प्वाइंट-4, डोकलाम, गलवान इत्यादि। ये आपकी नाक के नीचे हो रहा है और आपने ये शुरु किया 6 महीने पहले, ये भी नहीं कि आपने पहले शुरु किया, बंद कर गए, ये फंड शुरु किया 6 महीने पहले, ये अभी शुरु किया, ये हो चुका है आपकी नाक के नीचे। अगर प्रधानमंत्री हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से इस प्रकार का खिलवाड़ करेंगे, इस प्रकार से जवाबदेही को अवोयड करेंगे, तो क्या उसके बाद आप हमें ये कहेंगे कि कांग्रेस, सिंघवी, एआईसीसी ये प्रश्न करने की हिम्मत कैसे कर रहे हैं? आप अगर प्रश्न करते, तो आप राष्ट्र विरोधी हैं?
आपने क्या किया, आपने इसका विपरीत बोला। चीन ने ताली बजाई, आपने वापस हमको दोषारोपण कर दिया कि हमने चीन से ताली बजवाई। हम राष्ट्रीय विरोधी किस प्रकार का तर्क है, ये तो पूरक भी नहीं, ये तो मजाक है। ये किस प्रकार की पर्देदारी है कि ये आप चीन से स्पष्टता से चीन के बारे में नहीं बोलते।
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