जल्द ही विकास की रफ्तार दोबारा हासिल करेगा भारत:मोदी

नई दिल्ली,02 जून (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमाम एजेंसियों द्वारा चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट के अनुमान व्यक्त किये जाने के विपरीत देश की क्षमता, संकट प्रबंधन कौशल, किसानों और उद्यमियों पर भरोसा जताया और कहा कि भारत अपनी आर्थिक वृद्धि को निश्चित रुप से वापस हासिल कर लेगा।
मोदी यहां देश के प्रमुख उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ के 125वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सुधारों की गति बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को पुराने कानूनों की बंदिशों से मुक्त कर खोलने की दिशा में बढऩे का भी जिक्र किया तथा कहा कि सरकार की ओर से उठाए जा रहे सुधारवादी कदमों का अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ होगा। मोदी ने कहा कि कोरोना के खिलाफ अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता मे से एक है। सरकार जो फैसले तुरंत लिये जाने हैं वह ले रही है इसके साथ ही ऐसे भी निर्णय लिये गये हैं जो कि लंबे समय में देश की मदद करेंगे। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का जिक्र करते हुये सरंचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने के साथ ही कृषि क्षेत्र के सुधारों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्र जो अब तक बंद थे उन्हें निजी क्षेत्र के लिये खोला गया है। इन सुधारों से आने वाले समय में आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी। वीडियो कन्फ्रेंस के जरिये आयोजित सम्मेलन से जुड़े उद्योगपतियों को संबांधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना ने हमारी चालजितनी भी धीमी की हो, लेकिन आज देश की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि भारत लॉकडाउन को पीछे छोड़कर अनलॉक- पहले चरण में प्रवेश कर चुका है। इस चरण में अर्थव्यवस्थाका बहुत बड़ा हिस्सा खुल चुका है। काफी हिस्सा अभी 8 जून के बाद और खुलने जा रहा है। यानि वृद्धि को वापस हासिल करने की शुरुआत तो हो चुकी है। एक दिन पहले ही प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भारत की राष्ट्रीय रेटिंग को ‘बीएए2Ó से एक पायदान नीचे कर ‘बीएए3Ó पर ला दिया। मूडीज ने भारत की वित्तीय स्थिति बिगडऩे और आर्थिक मंदी लंबी खिंचने को लेकर चिंता व्यक्त की है। मोदी ने कहा कि आज ये सब हम इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि जब दुनिया में कोरोना वायरस पैर फैला रहा था, तो भारत ने सही समय पर, सही तरीके से सही कदम उठाए।
दुनिया के तमाम देशों से तुलना करें तो आज हमें पता चलता है कि भारत में लॉकडाउन का कितना व्यापक प्रभाव रहा है। इस लॉकडाउन में भारत ने कोरोना से लड़ाई के लिए भौतिक संसाधनों को तो तैयार किया ही, वहीं अपने मानव संसाधन को भी बचाया है। ऐसे में अब सवाल ये कि इसके आगे क्याउद्योग जगत के प्रमुख होने के नाते, आपके मन में ये सवाल जरूर होगा कि अब सरकार क्या करने जा रही है आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में भी आपके कुछ सवाल होंगे।
आत्मनिर्भर बनने का मंत्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को फिर से तेज़ विकास के पथ पर लाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के वास्ते 5 चीजें बहुत ज़रूरी हैं।इच्छाशक्ति, समावेशी रुख, निवेश, अवसंरचना और नवप्रवर्तन।हाल में जो निर्णय लिए गए हैं, उसमें भी आपको इन सभी की झलक मिल जाएगी।इन फैसलों के साथ हमने तमाम क्षेत्रों को भविष्य के लिये तैयार किया है। इसी वजह से आज भारत एक नए वृद्धि के रास्ते पर बड़ी उड़ान के लिए तैयार है। सुधारों का जिक्र करते हुये मोदी ने कहा कि हमारे लिए सुधार कोई अचानक उठाये जाने वाले कदम अथवा इधर उधर के फैसले नहीं हैं। हमारे लिए सुधार सुचारू प्रक्रिया, योजनाबद्ध, एकीकृत, संगत और भविष्य की सोच के साथ बढ़ाई जाने वाली प्रक्रिया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधत की शुरुआत करते हुये कहा कि कोरोना के इस दौर में,इस तरह के आनलाइन कार्यक्रम अब सामान्य होता जा रहा है। लेकिन ये भी इंसान की सबसे बड़ी ताकत होती है कि वो हर मुश्किल से बाहर निकलने का रास्ता बना ही लेता है। आज भी हमें जहां एक तरफ इस वायरस से लडऩे के लिए सख्त कदम उठाने हैं वहीं दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था का भी ध्यान रखना है।हमें एक तरफ देशवासियों का जीवन भी बचाना है तो दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा करना है,इसमें तेजी लानी है।
आर्थिक सुधारों को नतीजों तक पहुंचाना मकसद
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस स्थिति में आपने ‘वृद्धि वापस हासिल करनेÓ की बात शुरू की है। निश्चित तौर पर इसके लिए आप सभी, भारतीय उद्योग जगत के लोग बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि बल्कि मैं तो वृद्धि वापस हासिल करने से भी आगे बढ़कर ये भी कहूंगा कि हॉं, हम निश्चित तौर पर अपनी वृद्धि को वापस हासिल करंगे। मोदी ने कहा उनकी सरकार के लिये सुधारों का मतलब है फैसले लेने का साहस करना और उन्हें उनके परिणाम तक पहुंचाना। आईबीसी हो, बैंकों का विलय हो, जीएसटी हो,बिना आमना-सामना किये आयकर का आकलन करने की व्यवस्था हो हमेशा व्यवस्थाओं में सरकार के दखल को कम करने का प्रयास किया गया। निजी क्षेत्र के लिये उत्साहवर्धक कारोबारी माहौल खड़ा करने पर बल दिया गया है। यही वजह है कि सरकार आज ऐसे नीतिगत सुधारों को भी आगे बढ़ा रही है जिसकी देश ने उम्मीद भी छोड़ दी थी। प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र का जिक्र करते हुये कहा कि हमारे यहां आजादी के बाद जो नियम-कायदे बने, उसमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था। किसान कहां फसल बेच सकता है, कहां नहीं, नियम बहुत सख्त थे। किसानों के साथ दशकों से हो रहे अन्याय को दूर करने की इच्छाशक्ति इस सरकार ने दिखाई। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी)कानून में बदलाव के बाद अब किसानों को भी उनके अधिकार हासिल होंगे। किसान अब जिसे चाहें, जहां चाहें और जब चाहें अपनी फसल बेच सकते हैं। अब कोई किसान अपनी फसल देश के किसी भी राज्य में ले जाकर बेच सकता है। साथ ही गोदामों में रखे अनाज या कृषि उत्पाद कोअब इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के जरिए भी बेचे जा सकते हैं। इसी तरह, हमारे श्रमिकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए श्रम सुधारों को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।
एमएसएमई बनेगा अर्थव्यवस्था का मार्ग
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई गैर-रणनीतिक क्षेत्र में भी ऐसे क्षेत्र थे जहां निजी क्षेत्र को अनुमति नहीं थी इन्हें भी अब खोला जा रहा है। कोयला क्षेत्र को बंधन मुक्त करने का काम शुरू कर दिया गया है। कोयला क्षेख् में वाणिज्यिक खनन की अनुमति दे दी गई है। देश की जीडीपी, रोजगार और निर्यात में अहम भूमिका निभाने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एमएसएमई) क्षेत्र में परिस्पष्ट करने की मांग लंबे समय से चली आ रही थी, इसे पूरा कर दिया गयाहै। इसके साथ ही 200 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों में वैश्विक निविदायें जारी नहीं होंगी। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत को और स्पष्ट करते हुये कहा कि यह दुनिया की अर्थव्यवसथा के साथ पूरी तरह से जुड़ा रहेगा और उसमें सहायक भी होगा लेकिन आत्मनिर्भर भारत का मतलब यह नहीं है कि रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में यह किसी अन्य पर निर्भर होगा। यह भारत में मजबूत उद्योग खड़े करने के लिये होगा। ऐसे उद्योग जो कि दुनिया की ताकत बन सकें। ऐसे उद्योग जो रोजगार पैदा करें। हमारे लोगों को सशक्त बनायें ताकि वह ऐसे समाधान तैयार करें जो कि भारत का भविष्य तय कर सकें। मोदी ने कहा कि हमें अब एक ऐसी मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने में निवेश करना है, जो वैश्वकि आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी को मजबूत करे।उन्होंने कहा इस अभियान में सीआईआईजैसी दिग्गज संस्थाओं को भी नई भूमिका में आगे आना होगा।
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