(रायपुर) हाईकोर्ट ने की पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह की याचिका रद्द

0-अमन सिंह के खिलाफ एसआईटी जांच जायज
0-कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार को जांच का पूरा अधिकार
0-याचिकाकर्ता अपने आरोप साबित नहीं कर सका
0-एसआईटी गठन व जांच रोकने अमन सिंह ने लगाई थी याचिका
रायपुर, 23 मई (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह को हाईकोर्ट बिलासपुर से करारा झटका लगा है। स्वयं के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी जांच और ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही जांच को रोकने अमन सिंह ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
अमन सिंह के खिलाफ दिल्ली निवासी विजया मिश्रा ने आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत की थी कि आरईएस से पीआरएस लेने के बाद, तत्कालीन सरकार द्वारा अमन सिंह को संविदा नियुक्ति दी गई थी तथा संविदा नियुक्ति हेतु अमन सिंह ने कनार्टक में पदस्थापना के दौरान उसके विरुद्ध भ्रष्टाचार की जांच होने व उसके विरुद्ध चार्जशीट जारी होने के तथ्य को छिपाया था। पीएमओ द्वारा विजया मिश्रा की शिकायत जांच एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु राज्यशासन को भेजे जाने पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जांच के लिए एसआईटी गठित किया गया। अमन सिंह द्वारा पूर्व जांच में आरोप निराधार पाए जाने का हवाला देते हुए पुन: जांच के लिए एसआईटी गठनन को नियम विरुद्ध बताते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी। जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बैंच ने दिनांक 28 फरवरी 2020 को सुनवाई पूर्ण की कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। दिनांक 21 फरवरी 2020 को पारित निर्णय में ललिता कुमारी विरुद्ध उप्र शसन एवं अन्य, तेलंगाना शासन विरुद्ध मानाजीपेत एलियाज, जयललिता एवं अन्य विरुद्ध कर्नाटक राज्य एवं अन्य प्रकरणों में हुए पूर्व निर्णयों (लैण्ड मार्क डिसीजन) का हवाला देते हुए राज्य शासन द्वारा विजया मिश्रा की शिकायत जांच हेतु एसआईटी जांच गठनन को उचित ठहराते हुए याचिकाकर्ता अमन सिंह द्वारा राज्य शासन पर पूर्वाग्रह एवं दुर्भावनावश कार्यवाही करने के आरोप को निराधार होना माना है। कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेखित किया है कि याचिकाकर्ता अमन सिंह, शासन पर लागए गए अपने आरोपों को प्रमाणित करने में असफल रहे। हाईकोर्अ ने अमन सिंह के उस तर्क को भी नहीं माना कि राज्य शासन द्वारा उसे पूर्व में नोटिस जारी कर जवाब लिया गया था व उसे क्लीन चीट दे दी गई थी। इसे कार्यवाही न मानते हुए अपने निर्णय में जांच कराने का अधिकार राज्य शासन के पास सुरक्ष्ज्ञित होना एवं किसी जांच में संतुष्ट न होने की स्थिति में राज्य सरकार को दोबारा जांच कराने का पूर्ण अधिकार होना माना है। हाईकोर्ट के इस निर्णय को पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह की करारी हार के रूप में देखा जा रहा है।

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