(महत्वपूर्ण)(नईदिल्ली)राज्यसभा में उठी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग
0-शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने उठाए लोकमहत्व के मामले
नई दिल्ली ,13 मार्च (आरएनएस)। राज्यसभा में शुक्रवार को इस सत्र के दौरान पहली बार हुए शून्यकाल के दौरान जहां जनसंख्या विस्फोट की स्थिति से निपटने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग उठाई गई, वहीं चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सरकार की अनुशंसा के बजाए कानून के तहत करने की दिशा में काननू बनाने की मांग की गई। इसके अलावा कई अन्य मुद्दे भी जोरशोर से उठाए गये।
राज्यसभा में बजट सत्र के दूसरे चरण में शुक्रवार को पहली बार शून्यकाल चला, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाते हुए केंद्र सरकार से उन पर अमल करने की मांग की गई। शून्यकाल के दौरान भाजपा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि देश की बढ़ती जनसंख्या को रोकने की दिशा में संसद के इसी सत्र में इस संबंध में प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया जाना चाहिए, जिसमें ऐसे सख्त प्रावधानों को शामिल किया जाए, जिसमें दो से अधिक संतान होंने पर ऐसे लोगों को सरकारी सुविधाएं न मिल सके। वहीं यादव ने कहा कि दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने पर विभिन्न चुनाव लडऩे पर रोक भी लगा दी जानी चाहिए। यादव ने कहा कि जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने से पर्यावरण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों पर भी दबाव पड़ता है।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मामला
राज्यसभा में द्रमुक सदस्य पी. विल्सन ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए संसद से कानून बनाए जाने की मांग की। उन्होंने चुनाव आयोग की स्वायत्ता को लेकर सवाल उठाए और कहा कि आयोग की स्वायत्ता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की खातिर संसद को कानून बनाना चाहिए। विल्सन ने कहा कि अभी सरकार की अनुशंसा पर ही चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होती है। इससे आयोग की स्वायत्ता प्रभावित होती है। वहीं शून्यकाल के दौरान सपा सदस्य विश्वंभर प्रसाद निषाद ने 2021 की जनगणना जातिवार कराए जाने तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण में क्रीमी लेयर की सीमा समाप्त किए जाने की मांग की। सपा सदस्य निषाद ने शून्यकाल में यह मांग की। उन्होंने कहा कि देश भर में ओबीसी आबादी 54 प्रतिशत से अधिक है और इस वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण होने के बावजूद विभिन्न सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व काफी कम है। उन्होंने न्यायपालिका और विश्वविद्यालयों में भी आरक्षण की मांग की। सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के तहत मैलानी-पलिया-बहराइच खंड पर सेवाएं बंद किए जाने का फैसला किए जाने का मुद्दा उठाया। शून्यकाल में ही भाजपा के शिवप्रताप शुक्ला ने 22 आधिकारिक भाषाओं के लिए एक ही लिपि ‘देवनागरीÓ किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से लोग दूसरी भाषाओं को भी समझ सकेंगे। द्रमुक के टी शिवा ने निजी क्षेत्र की ट्रेनें शुरू करने का मुद्दा उठाया और कहा कि सरकारी ट्रेनें गरीबों के लिए रह जाएंगी और निजी ट्रेनें संपन्न तबके के लिए होंगी। उन्होंने आशंका जतायी कि आने वाले दिनों में सरकारी ट्रेनों की स्थिति एयर इंडिया की तरह खराब हो जाएगी। उन्होंने किरायों पर गौर करने के लिए एक नियामक बनाने की मांग की। शून्यकाल में ही माकपा के इलामारम करीम ने राष्ट्रीय परमिट वाले ट्रकों के चालकों से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कई मामलों में ऐसे ट्रकों में एक ही चालक होते हैं जबकि ट्रक एक ही दिन में लंबी दूरी तय करते हैं। उन्होंने ऐसे परमिट वाले ट्रकों में दो चालक के लिए नियम बनाने की मांग की।
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