नया भारत पुरानी सोच से चलने को तैयार नहीं:मोदी

नई दिल्ली,23 फरवरी (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 62वें मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा नया भारत, अब पुरानी सोच के साथ चलने को तैयार नहीं है। उन्होंने इसके लिए समाज में सकारात्मक परिवर्तनों को देखते हुए कहा कि वास्तव में भारत बदल रहा है।
पीएम मोदी ने रविवार को अपनी मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि नए भारत की दिशा में बदलते समाज का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें खासतौर पर नया भारत की हमारी बहनें और माताएँ तो आगे बढ़कर उन चुनौतियों को अपने हाथों में ले रही हैं जिनसे पूरे समाज में, एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। बिहार के पूर्णिया की कहानी, देश-भर के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है। ये वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है। ऐसे में, यहाँ खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना बहुत मुश्किल रहा है। मगर इन्हीं परिस्थितियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना। जहां पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून तैयार करती थीं, जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था। जबकि उसे खरीदने वाले लोग इन्हीं कोकून से रेशम का धागा बना कर मोटा मुनाफा कमाते थे। लेकिन आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदल कर के रख दी। इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से मलबरी-उत्पादन समूह बनाए। इसके बाद उन्होंने कोकून से रेशम के धागे तैयार किये और फिर उन धागों से खुद ही साडिय़ाँ बनवाना भी शुरू कर दिया।
105 साल की भागीरथी अम्मा का सलाम
प्रधानमंत्री मोदी ने केरल के कोल्लम की रहने वाली भागीरथी अम्मा का जिक्र किया जिसने 105 साल की उम्र में स्कूल शुरू किया और चौथी कक्षा की परीक्षा दी। उन्होंने परीक्षा में 75 फीसदी अंक प्राप्त किए। भागीरथी अम्मा जैसे लोग इस देश की ताकत हैं। पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, कुछ कर गुजरना चाहते हैं तो पहली शर्त यही होती है, कि हमारे भीतर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए। हमारी 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा, हमें यही प्रेरणा देती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि 10 साल से कम उम्र में उन्हें अपना स्कूल छोडऩा पड़ा था। 105 साल की उम्र में उन्होंने फिर स्कूल शुरू किया, पढ़ाई शुरू की। इतनी उम्र होने के बावजूद उन्होंने चौथी कक्षा की परीक्षा दी और 75 फीसदी अंक प्राप्त किए और भागीरथी अम्मा केरल राज्य साक्षरता मिशन की सबसे पुरानी विद्यार्थी भी बन गईं।
31 जनवरी 2020 को लद्दाख की खूबसूरत वादियां, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बनी। लेह के कुशोक बाकुला रिम्पोची एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान ने जब उड़ान भरी तो एक नया इतिहास बन गया। इस उड़ान में 10 फीसदी इंडियन बायो-जेट फ्यूल का मिश्रण किया गया था।
काम्या कार्तिकेयन की उपबल्धि
पीएम मोदी ने कहा कि काम्या कार्तिकेयन की उपबल्धि पर चर्चा की। उन्होंने माउंट एकोनगोवा को फतह करने पर काम्या को बधाई दी। पीएम ने कहा कि बेटियां बंदिशों को तोड़ ऊचाइयां छू रही हैं। दक्षिण अमेरिका में सबसे ऊंची चोटी है यह। 7000 मीटर से ऊंची है। बच्चों और युवाओं के उत्साह को बढ़ाने के लिए उनमें साइंटिफिक टैंपर को बढ़ाने के लिए एक और व्यवस्था शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाले रॉकेट लंचिंग को सामने बैठकर देख सकते हैं। हाल ही में इसे सबके लिए खोल दिया गया है। इन दिनों हमारे देश के बच्चों और युवाओं में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है। अंतरिक्ष में रिकॉर्ड सैटेलाइट का प्रक्षेपण, नए-नए रिकॉर्ड, नए-नए मिशन हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं।
इच्छाशक्ति से बदलती है परिस्थिति
पीएम मोदी ने कहा कि जीवन के विपरीत समय में हमारा हौसला, हमारी इच्छा-शक्ति किसी भी परिस्थिति को बदल देती है। अभी हाल ही में मुरादाबाद के हमीरपुर गाँव में रहने वाले सलमान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह जन्म से ही दिव्यांग हैं फिर भी उसने इस कठिनाई के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद ही अपना काम शुरू करने का फैसला किया और उसने अपने जैसे दिव्यांग साथियों की मदद करने की ठानी, जिसके द्वारा गांव में ही शुरू किये गये चप्पल और डिटर्जेंट बनाने का काम उसके साथ 30 दिव्यांग साथी जुड़ गए। मसलन सलमान के इस जज्बे ने इस साल 100 और दिव्यांगो को रोजगार देने का संकल्प भी लिया है। इसी प्रकार मोदी ने साल 2001 में आए विनाशकारी भूकंप का जिक्र किया जिसके बाद सभी लोग गाँव छोड़ रहे थे, तभी इस्माइल खत्री नाम के शख्स ने गाँव में ही रहकर अजरक प्रिंट की अपनी पारंपरिक कला को सहेजने का फैसला लिया। फिर क्या था, देखते-ही-देखते प्रकृति के रंगों से बनी ‘अजरक कलाÓ हर किसी को लुभाने लगी और ये पूरा गाँव, हस्तशिल्प की अपनी पारंपरिक विधा से जुड़ गया। गाँव वालों ने ना केवल सैकड़ों वर्ष पुरानी अपनी इस कला को सहेजा, बल्कि उसे, आधुनिक फैसन के साथ भी जोड़ दिया।
हुनर हाट में विविधताओं का समागम
प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के दिल्ली में चल रहे हुनर हॉट का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें दिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी सी जगह में, हमारे देश की विशालता, संस्कृति, परम्पराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किये। पारंपरिक वस्त्र, हस्तशिल्प, कालीन, बर्तन, बांस और पीतल के उत्पाद, पंजाब की फुलकारी, आंध्र प्रदेश का शानदार लैदर का काम, तमिलनाडु की खूबसूरत प्रिंटिंग, उत्तर प्रदेश के पीतल के उत्पाद, भदोही की कालीन, कच्छ के कॉपर उत्पाद, अनेक संगीत वादय यंत्र, अनगिनत बातें, समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक, वाकई अनोखी ही थी और इनके पीछे, शिल्पकारों की साधना, लगन और अपने हुनर के प्रति प्रेम की कहानियाँ भी। हुनर हाट में एक दिव्यांग महिला की बातें सुनकर बड़ा संतोष हुआ। उन्होंने मुझे बताया कि पहले वो फुटपाथ पर अपनी पेंटिंग बेचती थी, लेकिन हुनर हाट से जुडऩे के बाद उनका जीवन बदल गया। आज वो ना केवल आत्मनिर्भर है बल्कि उन्होंने खुद का एक घर भी खरीद लिया है। हुनर हाट में मुझे कई और शिल्पकारों से मिलने और उनसे बातचीत करने का अवसर भी मिला। मुझे बताया गया है कि हुनर हाट में भाग लेने वाले कारीगरों में पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएँ हैं। और पिछले तीन वर्षों में हुनर हाट के माध्यम से, लगभग तीन लाख कारीगरों, शिल्पकारों को रोजगार के अनेक अवसर मिले हैं। इसलिए ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारतÓ को, जी-भर जीने का, ये अवसर बन जाता है। आप ना सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगे, बल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों की, विशेषकर, महिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे।
त्यौहारों पर दी शुभकामनाएं
पीएम मोदी ने कहा कि महा-शिवरात्रि के साथ ही वसंत ऋतु की आभा भी दिनोदिन अब और बढ़ती जायेगी। आने वाले दिनों में होली का भी त्योहार है इसके तुरंत बाद गुड़ी-पड़वा भी आने वाला है। नवरात्रि का पर्व भी इसके साथ जुड़ा होता है। राम-नवमीं का पर्व भी आएगा। पर्व और त्योहार, हमारे देश में सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हर त्योहार के पीछे कोई-न-कोई ऐसा सामाजिक संदेश छुपा होता है जो समाज को ही नहीं, पूरे देश को, एकता में, बाँधकर रखता है। होली के बाद चौत्र शुक्ल-प्रतिपदा से भारतीय विक्रमी नव-वर्ष की शुरुआत भी होती है। उसके लिए भी, भारतीय नव-वर्ष के साथ वह देशवासियों को अग्रिम शुभकामनायें देते हैं।
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