नईदिल्ली,21 जनवरी (आरएनएस)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग इस साल नई दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में स्टार्टअप इंडिया पर एक झांकी प्रदर्शित करेगा। स्टार्टअप्स: आसमान तक पहुंच विषय पर बनी झांकी में स्टार्टअप के जीवन चक्र के विभिन्न चरणों और इस दौरान सरकार द्वारा उसे मिली सभी तरह की सुविधाओं को दर्शाया जाएगा। इस झांकी में यह दिखाया जाएगा कि स्टार्टअप का आइडिया कैसे अस्तित्व में आया और किस तरह सकारात्मक रूप से उभरे नवाचारों ने भारत के लोगों के जीवन को प्रभावित किया। झांकी में सबसे आगे एक सृजनात्मक दिमाग दर्शाया जाएगा, जो दुनिया की वास्तविक समस्याओं का समाधान निकालने के लिए नये विचारों से पूर्ण होगा। झांकी के मध्य में स्टार्टअप इंडिया ट्री होगा, जो स्टार्टअप को मिल रही विभिन्न सुविधाओं को दर्शाएगा। झांकी में दर्शायी जाने वाली सीढिय़ां स्टार्टअप के विकास के विभिन्न चरणों-परिकल्पना, प्रारूप का सृजन, व्यापार योजना का निर्माण, टीम का गठन, बाजार में उतारना और समय के साथ इसकी वृद्धि को बताएगी। झांकी के पिछले हिस्से में अर्थव्यवस्था के सेक्टरों को दर्शाया जाएगा, जहां भारतीय संस्थाओं ने आर्थिक वृद्धि को गति दी और बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित किए। झांकी में भारत का नक्शा अर्द्धशहरी एवं ग्रामीण इलाकों में स्टार्टअप आंदोलन के निरंतर विस्तार को दर्शाएगा। झांकी में चक्र और नक्शा दोनों देश में स्टार्टअप इंडिया आंदोलन के फैलाव और गहराई को बताएंगे। स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका प्रयोजन नवाचारों को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना, सतत आर्थिक विकास को गति देना और बड़े स्तर पर रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। स्टार्टअप इंडिया का उद्देश्य देश के युवाओं को पूंबनाने के सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित करना और उन्हें रोजगार लेने वाला नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बनाना है। 16 जनवरी, 2016 को शुरू की गई स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना ने देश भर में उद्यमिता की भावना को उभारा है। स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत सक्षम कंपनियां कर लाभ पाने, आसान स्वीकृति और आईपीआर एवं अन्य लाभों के लिए डीपीआईआईटी द्वारा स्टार्टअप्स का दर्जा पा सकती हैं। अभी 28 राज्यों एवं 7 केन्द्र शासित प्रदेशों के 551 जिलों में 26,000 से अधिक स्टार्टअप कंपनियां हैं। सूचना प्रौद्योगिकी, उद्योग 4.0, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, ऊर्जा, वित्त, अंतरिक्ष, रक्षा और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में काम कर रही भारतीय स्टार्टअप्स ने वैश्विक निवेश को आकर्षित किया है और दो लाख 91 हजार से अधिक रोजगारों का सृजन किया है। ००
नईदिल्ली,21 जनवरी (आरएनएस)। केन्द्रीय न्याय एवं विधि, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि प्रौद्योगिकी जीवन आसान और सरल बनाने के उपयुक्त होनी चाहिए। प्रसाद आज यहां राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) द्वारा आयोजित एनआईसी टेककॉन्क्लेव 2020 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एनआईसी को व्यवस्था से बाहर के लोगों को उनके विचार जानने और व्यवस्था में तदनुसार संशोधन के लिए उनकी सलाह लेने के लिए जोडऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी सरकार की जरूरत है, जिसके चरित्र में परिवर्तनकारी भावना हो। उन्होंने कहा कि बदलाव के लिए प्रौद्योगिकी शासन का सबसे बड़ा प्रवर्तक बन गया है।
उन्होंने तकनीक विशेषज्ञों को सलाह दी कि वे बड़े सपने देखना शुरू करें और उन्हें वास्तविकता में बदलने के लिए कठिन प्रयास करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रौद्योगिकी बड़ा सुविधा प्रदाता है। उन्होंने कहा कि यदि आपके पास दूरदर्शिता है, यदि आपके पास महत्वाकांक्षा है, यदि आपके पास सपना है और यदि आपके पास उसे वास्तविकता में बदने की प्रतिबद्धता है, तो सब कुछ संभव हो सकता है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल भारत को एक परिवर्तनकारी कार्यक्रम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सामने डिजिटल इंडिया को जोडऩे की चुनौती है और डिजिटल इंडिया को आम नागरिकों को प्रौद्योगिकी की शक्ति से सशक्त करने के उपयुक्त बनाया गया है। प्रसाद ने कहा कि डिजिटल इंडिया को क्या किया जाए और क्या नहीं किया जाए के विभाजन को पाटने के लिए बनाया गया है और डिजिटल इंडिया को डिजिटल समावेशन लाना होगा।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी किफायती, विकासपरक और समावेशी होनी चाहिए। उन्होंने नया नारा ‘डिजिटल इंडिया मतलब टेक्नोलॉफ्रॉम द क्लासेस टू द टेक्नोलॉफॉर द मासेसÓ दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन उभरती चुनौतियों का पता लगाएगा और इससे निकलने का रास्ता भी दिखाएगा।
शासन के आदर्श के रूप में अधिक से अधिक ग्रामीण सशक्तिकरण मिशनों के बारे में सोचे जाने की बात कहते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनआईसी ने देश में स्वच्छ भारत अभियान की निगरानी में मदद की है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने लायक बनाना है।
प्रसाद ने कहा कि वित्तीय समावेशन डिजिटल समावेशन का पूरक है, जो हमारे देश के भविष्य का रोडमैप बनने जा रहा है। डिजिटल इंडिया को डिजिटल समावेशन का पूरक बनना चाहिए।
उन्होंने आशा व्यक्त की है कि दूरदराज के गांव में महिला के हाथ में स्मार्ट फोन के साथ बैंक तक उसकी पहुंच भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर गांव में महिला उद्यमियों के समूह का गठन उनके वित्तीय समावेशन, डिजिटल समावेशन एवं उन्हें और सशक्त बनाने के लिए किया जाना चाहिए।
प्रसाद ने कहा कि भारत वित्तीय समावेशन के एक बड़े बदलाव के इंतजार में है। उन्होंने कहा कि डिजिटल समावेशन और वित्तीय समावेशन को भारत के परिवर्तनकारी शासन का मानदंड बनने दिया जाए।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आंकड़े प्रौद्योगिकी और शासन को संचालित करने जा रहे हैं। हम सभी को आंकड़ों के असर को समझना होगा। उन्होंने आंकड़ों के पांच तत्वों-आंकड़ा उपलब्धता, आंकड़ा उपयोगिता, आंकड़ा नवाचार, आंकड़े की अज्ञानता और आंकड़ा गोपनीयता की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के साथ काम करते हुए हमें इन पांच तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को डाटा संशोधन प्रक्रिया का बड़ा केन्द्र होना चाहिए और एनआईसी को इस दिशा में काम करना चाहिए।
इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अजय साहनी, सिस्को (भारत और सार्क) के अध्यक्ष समीर गार्डे, एनआईसी की महानिदेशक डॉ. नीता वर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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