उम्रकैद की सजा के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे कुलदीप सेंगर

नई दिल्ली,17 जनवरी (आरएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा। सेंगर की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर जांच एजेंसी से जवाब मांगा। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने सेंगर को जुर्माने की 25 लाख रुपए की राशि 60 दिन में देने की अनुमति दी।
4 मई को होगी मामले की अगली सुनवाई
सेंगर की ओर से 25 लाख की राशि जमा की जाएगी जिसमें से 10 लाख रुपए बिना किसी शर्त के पीडि़ता के लिए जारी किए जाएंगे। पीठ ने मामले की सुनवाई चार मई तक के लिए टाल दी। सेंगर को अपहरण और रेप केस में दोषी ठहराया गया था। बता दें कि 4 जून 2017 को रेप पीडि़ता ने तत्कालीन बीजेपी विधायक सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था। बाद में रायबरेली में सड़क हादसे में रेप पीडि़ता को कथित तौर पर जान से मारने की कोशिश भी की गई थी।
सेंगर के वकीलों की दलील नहीं आई काम
कुलदीप सिंह सेंगर की सजा पर सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने समाज सेवा का तर्क दिया था। सेंगर के वकील ने कोर्ट से न्यूनतम सजा की मांग की थी। उनके वकीलों ने कहा कि सेंगर दशकों से सार्वजनिक जीवन में थे। उन्होंने समाज की सेवा की है और लोगों के उत्थान के लिए बहुत से कल्याणकारी कार्य किए हैं। हालांकि, कोर्ट के सामने इनमें से कोई दलील नहीं चली।
विवादों से आजीवन रहा सेंगर का नाता
सेंगर की राजनीतिक पारी, रुतबा सब खत्म हो चुका है। 90 के दशक में कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाला कुलदीप सिंह सेंगर अब अर्श से फर्श पर आ चुका है। सेंगर की जिंदगी के तकरीबन हर पन्ने में विवादों का साया है। विधायकी कुलदीप की थी और इसे उसके भाई अतुल सिंह सेंगर और मनोज सिंह सेंगर भुनाते थे। टैक्सी, बस स्टैंड में वसूली से लेकर खनन तक सारे अवैध धंधे सेंगर की छत्रछाया तले हो रहे थे।
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